हरिद्वार।

पतंजलि विश्वविद्यालय में आज ‘प्राचीन भारतीय ज्ञान के प्रकाश में संवेगात्मक उन्नति के साथ भावी पीढ़ी’ विषय पर एक कार्यशाला का विधिवत् आयोजन किया गया। जिसमें पतंजलि विश्वविद्यालय के माननीय प्रति-कुलपति प्रो. महावीर अग्रवाल, सह-कुलानुशासक स्वामी परमार्थदेव एवं मुख्य अतिथि  उदय सिन्हा , मनोविज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. वैशाली गौड एवं डॉ. अभिषेक ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। इसी के साथ-साथ पतंजलि विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने कार्यशाला के शीर्षक पर व्याख्यान प्रतियोगिता में अपनी भागीदारी की तथा विभिन्न प्रान्तों के प्रसंगों को प्रदर्शित करते हुए सांस्कृतिक नृत्यों को प्रस्तुत किया।

 

पतंजलि विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के माध्यम से पूज्य स्वामी रामदेव महाराज एवं श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण महाराज के सपनों को साकार करने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में आज की युवा पीढ़ी प्राचीन साहित्य, गीता एवं उपनिषदों के माध्यम से तथा उनके मूल्यावान विचारों से कैसे खुद का मूल्यांकन कर सके और अपने आप को श्रेष्ठ बना सके। ऐसे विचारों को मुख्य अतिथि व छात्र-छात्राओं के बीच रखा गया।

आज की युवा पीढ़ी सर्वप्रथम स्वयं को पहचानें वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक श्री उदय सिन्हा

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उदय सिन्हा जो एक वरिष्ठ मनोविज्ञानिक है, उन्होंने पतंजलि विश्वविद्यालय में छात्र-छात्राओं को यह समझाया कि आज की युवा पीढ़ी सर्वप्रथम स्वयं को पहचानें। उन्होंने कहा कि जब आप स्वयं को समझ लेगें एवं पहचान लेगें, तभी आप दूसरों को अच्छी तरह से समझने के योग्य होगें। व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने आप पर नियंत्रण रखें, साथ ही खुद का प्रबंधन भी व्यक्ति को अवश्य आना चाहिए तभी वह अपनी संवेदनाओं पर नियंत्रण रख सकेगा। मनुष्य को जरुरत है कि वह अपने आप को समझे जिससे की वह दूसरे व्यक्ति के द्वारा उपहास का पात्र न बन पायें। आज की युवा पीढ़ी कदम-कदम पर विभिन्न संवेदनाओं से रोज रू-ब-रू होती है, इसलिए उसका नियंत्रण व प्रबंधन अवश्य आना चाहिए।

योग व वेद में बताये गये विचार सही राह दिखाने का कार्य करते हैं माननीय प्रति-कुलपति प्रो- महावीर अग्रवाल

कार्यक्रम में प्रति कुलपति प्रोफेसर महावीर अग्रवाल ने अपने विचारों के माध्यम से छात्र-छात्राओं को यह समझाया कि आज की युवा पीढ़ी विभिन्न प्रकार के संवेदनाओं में बहक जाती है, जिससे उनके नैतिक मूल्यों का ह्रास होता है। ऐसे सभी लोगों के लिए योग व वेद में बताये गये विचार सही राह दिखाने का कार्य करते हैं।

चंचल मन को योग, अध्यात्म एवं वैराग्य के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता हैं स्वामी परमार्थदेव

इसी क्रम में स्वामी परमार्थदेव ने अपने संबोधन में कहा कि छात्र-छात्राओं का मन अति कोमल होता है। इस चंचल मन को योग, अध्यात्म एवं वैराग्य के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता हैं।
आयोजन के क्रम को विराम देते हुए पतंजलि विश्वविद्यालय की मनोविज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. वैशाली गौड ने अपने विचार के माध्यम से कहा कि आज की युवा पीढ़ी को सात्विक एवं राजत्विक गुणों के व्यवहारिक प्रयोग से अपने आप को इतना मजबूत करना होगा, जिससे आपका जीवन श्रेष्ठ तथ्यों पर आधारित होकर नव जीवन को ग्रहण कर सकें। कार्यक्रम में डॉ. अभिषेक, समस्त प्राध्यापक एवं छात्र-छात्राए उपस्थित रहे।

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