पहले के मुकाबले समाज और परिवार में महिलाओं की स्थिति में काफी सकारात्मक परिवर्तन आया है। शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य तक के आंकड़ों में न केवल महिलाओं की स्थिति सुधरी है बल्कि बाल विवाह-कन्या भूर्ण हत्या जैसे अपराध भी कम हो गए हैं। हां, वो बात अलग है कि पारिवारिक जिम्मेदारियों को ही उनके लिए उत्तम माना गया है। दरअसल, ऐसा इसलिए क्योंकि समाज के एक तबके का ऐसा कहना है कि ज्यादा पढ़ी-लिखी महिला अपने बराबर या कमतर लड़के को कभी भी अपना जीवन साथी बनाना पसंद नहीं करती। वह न केवल मजबूत बाजुएं और तगड़ा बैंक बैलेंस देखती हैं बल्कि अपने पति की इज़्जत करना भी उन्हें खराब लगता है। हालांकि, असल सच्चाई पर हम सभी ने पर्दा डाला हुआ है। ऐसा इसलिए क्योंकि औरतों को वही मर्द सबसे ज्यादा भाते है, जो उन्हें तर्क के मामले में हरा सके
यही एक वजह भी है कि अपने सपनों की उड़ान भरने के साथ-साथ महिलाएं घर में सम्मान-वैवाहिक जीवन और गर्भावस्था भी पूरी तरह अपनी शर्तों पर जी रही हैं। महिलाओं की इसी भागीदारी को बढ़ाने और अपने अधिकारों से अनजान महिलाओं को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। लेकिन सवाल यह है कि इस दिन को सेलिब्रेट करने की शुरुआत कब और कहां से हुई?
क्यों मनाया जाता है महिला दिवस?
यह सारा मामला साल 1908 में हुआ था, जब अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में 15 हजार औरतों ने सड़कों पर मार्च निकालकर नौकरी में कम घंटे-बेहतर वेतन और साथ-साथ मतदान करने के अधिकार को लेकर आवाज उठाई थी। कामकाजी महिलाओं की मांग थी कि उनकी नौकरी के घंटे कम किए जाएं।ऐसा इसलिए क्योंकि महिलाओं से पहले 10-12 घंटे काम कराया जाता था, जोकि बाद में 8 घंटे कर दिया गया। यह प्रदर्शन काफी दिन चला, जिसके एक साल बाद सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका ने इस दिन को पहला राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित कर दिया।
साल 1910 में कोपेनहेगन में कामकाजी महिलाओं द्वारा एक सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें 8 मार्च को अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के तौर पर हर साल मनाने का सुझाव दिया गया। यही से 8 मार्च के दिन दुनिया भर में अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाने लगा। हालांकि, साल 1975 में इस दिन को अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मान्यता मिली, जब संयुक्त राष्ट्र ने इस खास दिन को एक थीम के साथ मनाने को कहा।
आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर बहुत से देशों में महिलाओं को छुट्टी दी जाती है। इन देशों की लिस्ट में अफगानिस्तान-क्यूबा, वियतनाम, कंबोडिया, रूस, बेलरूस, युगांडा और यूक्रेन शामिल हैं।
महिला दिवस 2022 की थीम
साल 2021 में जहां महिला दिवस की थीम महिला नेतृत्व और कोविड-19 की दुनिया में एक समान भविष्य को प्राप्त करना थी। वहीं इस बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2022 की थीम ‘जेंडर इक्वालिटी टुडे फॉर ए सस्टेनेबल टुमारो’ यानी एक स्थायी कल के लिए लैंगिक समानता रखी गई है। वहीं इस बार महिला दिवस का रंग पर्पल-ग्रीन और सफेद भी तय किया गया है, जिसमें पर्पल न्याय और गरिमा का प्रतीक है, तो वहीं हरा रंग उम्मीद और सफेद रंग शुद्धता से जोड़ रहा है।