सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक प्रशांत सिंह की कोर्ट में काशी विश्वेश्वर के वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने आवेदन में कहा कि मुख्य गुंबद के नीचे सर्वे नहीं हो पा रहा है। वास्तविक जानकारी के लिए एएसआई सुरंग बनाकर जीपीआर सर्वे करे। जिससे पता लगाया जा सके कि आयुक्त के सर्वे में जो पत्थरनुमा आकृति मिली है वह शिवलिंग है या फव्वारा।
वर्ष 1991 में दाखिल प्राचीन स्वयंभू लॉर्ड विश्वेश्वर वाद में वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने आवेदन दाखिल किया है। आवेदन में कहा है कि अधिवक्ता आयुक्त के सर्वे में जो पत्थरनुमा आकृति मिली है, एएसआई जांच कर बताए कि वह शिवलिंग है या फव्वारा।
अदालत ने इस आवेदन पर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद, सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड और एएसआई को आवेदन की प्रति देते हुए आपत्ति दाखिल करने के लिए 12 फरवरी की तिथि नियत कर दी।सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक प्रशांत सिंह की कोर्ट में काशी विश्वेश्वर के वाद मित्र ने आवेदन में कहा कि मुख्य गुंबद के नीचे सर्वे नहीं हो पा रहा है, वास्तविक जानकारी के लिए एएसआई सुरंग बनाकर जीपीआर सर्वे करे। हाईकोर्ट ने 19 दिसंबर 2023 को शृंगार गौरी वाद में किए गए एएसआई सर्वे रिपोर्ट को प्राचीन स्वयंभू लाॅर्ड विश्वेश्वर वाद में दाखिल करने का आदेश एएसआई को दिया था।इस रिपोर्ट के इतर और जो कुछ भी एएसआई से सर्वे कराना चाहते हैं, उसके लिए अलग से आवेदन दे सकते हैं। साथ ही सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक आशुतोष ने 8 अप्रैल 2021 के एएसआई सर्वें आदेश को पुष्ट करते हुए उसके अनुरूप सर्वे कराने को कहा था। इन्ही आदेशों के क्रम में व्यापक स्तर पर एएसआई से राडार तकनीक से सर्वे कराए जाने का अनुरोध किया जा रहा है।
वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी व सहायक अधिवक्ता सुनील रस्तोगी ने कहा कि जिस विवादित आराजी नं. 9130 का सर्वे किया गया है, उसका काशी विश्वेश्वर के आराजी नं. 9131 व 9132 से क्या ताल्लुक है और वर्तमान में क्या स्थिति है? इसका भी एएसआई रिपोर्ट दे। क्योंकि इस आराजी में भगवान विश्वेश्वर का बड़ा मंदिर, बड़ी चहारदीवारी और बहुत मंदिर हैं, जिसके मालिक स्वयंभू काशी विश्वेश्वर हैं।वर्तमान में न्यास परिषद सिर्फ मैनेजमेंट देखता है। इन आराजियों पर वास्तविक मालिकाना हक लाॅर्ड काशी विश्वेश्वर का ही है। वाद मित्र ने कहा जो एएसआई ने अभी सर्वे किया है, वहां कई स्थान ब्लाकेज है और मुख्य गुंबद के नीचे तह खाना है, वह तीन तरफ से बंद है।
बहुत से मलबे हैं, वहां एएसआई जीपीआर तकनीक से सर्वे नहीं कर पा रही है। ऐसे में पूर्व में सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट के पीठासीन अधिकारी द्वारा दिए गए, उस आदेश के मुताबिक सर्वे किया जाए, जिसमें मुख्य गुंबद से हटकर उसे कोई नुकसान पहुंचाए बगैर 4/4 का सुरंग बनाकर नीचे के तहखाने का राडार तकनीक से सर्वे किया जाए।
हाईकोर्ट ने छह माह में निर्णय देने का दिया है आदेश
वाद मित्र ने आवेदन में कहा कि जहां-जहां भी सर्वे नहीं हुआ है, उन सभी स्थानों का सर्वे किया जाना चाहिए। इस अति प्राचीन वाद में आराजी नं. 9130 पर स्थित विवादित ढांचे को ढहाने और काशी विश्वेश्वर का मालिकाना हक घोषित होना है। हाईकोर्ट ने इसे छह माह में निर्णित करने का आदेश स्थानीय अदालत को दिया है।