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  • मनोज श्रीवास्तव

  • सहायक सूचना निदेशक 
  • सूचना एवं लोकसंपर्क विभाग
  • आज हर कोई बन्धन के कारण किसी न प्रकार के दुःख के वशीभूत है।

1 कोई तन के दुःख के वशीभूत है।
2 कोई सम्बन्ध के दुःख के वशीभूत है।
3 कोई अपनी इछाओ के दुःख के वशीभूत है।
4 कोई पुकारने चिल्लाने के दुःख के वशीभूत है।

लेकिन
स्वस्वरूप और स्वमान में स्थित रहने वाले मास्टर लिबरेटर,बन्धन मुक्ति दाता बन जाते है।

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