पूर्व क्रिकेटर युवराज सिंह को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। हाई कोर्ट ने अपने खिलाफ दलितों पर आपत्तिजनक टिप्पणी के आरोप में दर्ज एफआइआर को रद करने की हाई कोर्ट से  मांग की थी। उस पर हाई कोर्ट ने युवराज को आंशिक राहत दी है और उनके खिलाफ भावनाओं को आहत करने की धाराओं को रद कर दिया है, लेकिन एससी/एसटी एक्ट के तहत जांच जारी रखने के आदेश दे दिए हैं।

जस्टिस अमोल रतन सिंह ने अपने फैसले में युवराज सिंह के खिलाफ दर्ज एफआइआर में से आइपीसी की धारा-153-ए और 153-बी को रद कर दिया है।  वहीं एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामले में पुलिस को पूरी निष्पक्षता से जांच जारी रखने के आदेश दिए हैं। बता दें कि एक अप्रैल 2020 को युवराज सिंह ने इंटरनेट मीडिया पर अपने साथी रोहित शर्मा के साथ जब लाइव चैट कर रहे थे तो इस दौरान लाकडाउन को लेकर चर्चा के दौरान उन्होंने मजाक में अपने साथी युजवेंद्र सिंह और कुलदीप यादव को कुछ शब्द कह दिए थे। इसको लेकर हांसी में युवराज सिंह के खिलाफ केस दर्ज किया था।

इसके खिलाफ युवराज सिंह ने इस मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी थी। हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए युवराज सिंह को मामले की जांच में शामिल होने और उनके खिलाफ अगले आदेशों तक कोई भी कार्रवाई करने पर रोक लगा दी थी।

इस मामले की जांच में युवराज सिंह शामिल हो चुके हैं, दिसंबर माह में जस्टिस अमोल रतन सिंह ने सभी पक्षों को सुनने के बाद युवराज की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। वीरवार को हाई कोर्ट ने इस मामले में युवराज सिंह को आंशिक राहत देते हुए उन्हें धारा-153-ए और 153-बी से मुक्त कर दिया है लेकिन अन्य धाराओं के तहत पुलिस को जांच जारी रखने के आदेश देते हुए याचिका का निपटारा कर दिया है।

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