रूस और यूक्रेन के बीच भीषण जंग जारी है। इस बीच महंगाई बढ़ने के काफी आसार दिख रहे हैं। जंग के बीच खाने के तेल और ईंधनों की कमी का डर भी लोगों के बीच बना हुआ है। ऐसे में कई भारतीय खाद्य तेल और ईंधन को स्टॉक करने में जुटे हैं। लोगों में इस बात का डर है कि यूक्रेन में रूस के आक्रमण से खाद्य तेल की कमी हो सकती है। ऐसे में वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी का असर देश में गंभीर रूप से पड़ सकता है। सोशल मीडिया पर भी संदेश फैलाए जा रहे हैं कि युद्ध की वजह से खाने के तेल की कीमतों में कमी हो सकती है। कई लोग खाद्य तेल की खपत को कम कर रहे हैं।

गौरतलब है कि एक महीने से भी कम समय में खाद्य तेल की कीमतों में 20 फीसदी से अधिक की उछाल देखी गई है। इसके साथ ही सोशल मीडिया पर तेल की कमी के बारे में फर्जी वायरल संदेशों ने भी देश के लोगों में घबराहट पैदा कर दी है। भारत भारी मात्रा में खाद्य तेल का आयात करता है। भारत अपने सूरजमुखी के तेल का 90 फीसदी से अधिक रूस और यूक्रेन से आयात करता है। हालांकि सूरजमुखी तेल कुल खाद्य तेल आयात का लगभग 14 फीसदी है।  मुंबई स्थित सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता ने कहा कि अन्य खाद्य तेलों की आपूर्ति- जैसे पॉम ऑयल, सोया, रेपसीड ऑयल और मूंगफली पर्याप्त मात्रा में हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है।

देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश सहित कई प्रमुख राज्यों में चुनावों की वजह से घरेलू बाजार को नियंत्रित करने वाली सरकारी तेल कंपनियों ने 4 नवंबर से कीमतें नहीं बढ़ाई हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण के मतदान खत्म होने के बाद उपभोक्ताओं को डर है कि सरकार अब कीमतों में बढ़ोत्तरी करने के लिए कदम उठा सकती है। कुछ किसान डीजल स्टॉक कर रहे हैं क्योंकि उन्हें इसकी कीमतों में इजाफा होने का डर सता रहा है।

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