योग जीवन जीने का राजमार्ग है : महामहोपाध्याय प्रो. महावीर

पतंजलि विश्वविद्यालय के सभागार में सातवें योग दिवस के उपलक्ष्य में अन्तर्राष्ट्रीय योग सप्ताह का शुभारम्भ हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन विश्वविद्यालय के माननीय प्रति-कुलपति, कुलसचिव, संकायाध्यक्ष, कुलानुशासिका सहित अन्य गणमान्यों की उपस्थिति में वैदिक मन्त्रोचारण एवं दीप प्रज्ज्वलन के माध्यम से सम्पन्न हुआ। योग सप्ताह के प्रथम सत्र का प्रारम्भ वैदिक संस्कृति के संवाहक एवं विश्वविद्यालय के माननीय प्रति-कुलपति प्रो. महावीर अग्रवाल जी के प्रेरणादायी उद्बोधन से हुआ। डाॅ. अग्रवाल ने अपने व्याख्यान में स्वामी दयानन्द, स्वामी विवेकानन्द, महर्षि पतंजलि के दर्शन से अवगत कराते हुए वैदिक संस्कृति के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला। उन्होंने वेदों का संदेश देते हुए प्रतिभागियों को योगमय जीवन जीने की प्रेरणा दी।
संगोष्ठी के द्तीय सत्र में भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यवाहक अध्यक्ष, सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी श्री एन.पी.सिंह जी ने ‘योग के माध्यम से दिव्य ऊर्जा के संचरण’ विषय पर व्याख्यान दिया एवं योग को प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिए सक्षम माध्यम बताया। इसी क्रम में हरियाणा योग परिषद् के अध्यक्ष एवं भारत स्वाभिमान के मुख्य केन्द्रीय प्रभारी डाॅ. जयदीप आर्य जी ने पूज्य स्वामी जी के निर्देशन में सम्पन्न हुए अनुसंधान का संदर्भ देते हुए योग के वैज्ञानिक तत्त्वों एवं साक्ष्य आधारित प्रभावों की जनोपयोगी व्याख्या प्रस्तुत की।
योग विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक डाॅ. संदीप सिंह जी ने प्राणों के संदर्भ में योग चिकित्सा की चर्चा करते हुए प्राणायाम के प्रभावों को बताया। कार्यक्रम के अन्तिम सत्र में ‘प्राचीन काल में आयुर्वेद के विकास’ विषय पर इतिहास विभाग के सहायक आचार्य डाॅ. बिपिन दूबे जी ने अपना सारगर्भित व्याख्यान दिया।
अन्तर्राष्ट्रीय योग सप्ताह का सफल संचालन आयोजन सचिव युवा संन्यासी स्वामी परमार्थदेव जी ने किया। ‘फेसबुक लाइव’ एवं ‘जूम’ के माध्यम से देश-विदेश के विभिन्न संस्थानों के आचार्यों, विद्यार्थियों एवं आमजनों ने इस वेबिनार में प्रतिभाग किया। इस आयोजन के अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डाॅ. पुनिया जी, कुलानुशासिका पूज्या साध्वी (डाॅ.) देवप्रिया जी, संकायाध्यक्ष डाॅ. कटियार जी, परीक्षा नियन्त्रक श्री पाण्डेय जी, प्रो. साधना जी, स्वामी सोमदेव जी, उप-कुलसचिव, सहायक परीक्षा नियन्त्रक सहित विश्वविद्यालय के आचार्यगण, कर्मयोगी एवं विद्यार्थी जुड़े रहे।
