करनाल

करनाल में रजिस्‍ट्री के नाम पर रिश्वत का बड़ा खेल सामने आया है। रिश्‍वत मामले में पकड़े गए डीटीपी और तहसीलदार ने रिश्‍वत का खुला खेल खेला। रिश्वतखोरी में गिरफ्तार निलंबित डीटीपी विक्रम कुमार और तहसीलदार राजबख्श एनओसी व अवैध कालोनियों में रजिस्ट्री की आड़ में रिश्वत लेते रहे। दोनों ने अपने घरों, कार्यालयों से लेकर बेड तक में नोट छिपा कर रखे थे। करनाल के निगदू से लेकर अन्य जिलों में संपत्तियां जुटाई गईं।

दोनों आरोपित अभी जिला जेल में हैं। ऐसे में अब अवैध तरीके से कमाई गई उनकी संपत्ति अटैच की जा सकती है। वहीं, यह विजिलेंस ब्यूरो की ढीली कार्रवाई का प्रमाण ही माना जा रहा है कि अभी तक दोनों आरोपितों की संपत्ति व रिश्वत की रकम भी पूरी तरह से वेरिफाई नहीं की गई है।

यहां तक कि इस मामले में जांच टीम आगे किसी आरोपित तक भी नहीं बढ़ पाई है। इससे ब्यूरो की कार्रवाई ठंडे बस्ते में जाने का अंदेशा बना है। विजिलेंस ब्यूरो की टीम ने आरोपित तहसीलदार राजबख्श को गिरफ्तार किया था तो एक के बाद एक राज भी खुलते गए। गिरफ्तारी के दौरान ही उससे 80 हजार रुपये बरामद हुए थे। उसने माना था कि यह रकम डीड राइटर के माध्यम से अवैध कालोनियों में की गई रजिस्ट्री की एवज में रिश्वत के तौर पर ली गई थी। जब टीम ने राजबख्श को पांच दिन के रिमांड पर लिया तो उसे लेकर सोनीपत के सेक्टर 15 स्थित रिहायश पहुंची। यहां बेड में कपड़ों के नीचे एक बैग छिपाया गया था। इससे चार लाख 88 हजार रुपये बरामद हुए। जांच आगे बढ़ाई तो आरोपित की निगदू से लेकर रतिया, फतेहाबाद व सरदूलगढ़ सहित कई जगहों पर संपत्तियां पाई गईं। पुलिस अब भी उसकी संपत्तियों की जांच करने में जुटी है।

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