राजस्थान

राजस्थान के धौलपुर में विद्युत निगम के सहायक अभियंता हर्षाधिपति वाल्मीकि के पिटाई के प्रकरण में कांग्रेस विधायक गिर्राज मलिंगा की कितनी भूमिका है, इसकी जांच तो पुलिस करेगी, लेकिन सत्तारूढ़ पार्टी का विधायक होने के नाते गिर्राज मलिंगा ने जो आरोप लगाए हैं, उन्हें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को गंभीरता से लेना चाहिए।

सीएम गहलोत कहते हैं कि उनकी सरकार जो सुशासन दे रही है इसी वजह से 2023 में प्रदेश में कांग्रेस सरकार रिपीट होगी, जबकि कांग्रेस के विधायक गिर्राज मलिंगा का कहना है कि विद्युत निगम में लूट मची हुई है। ट्रांसफार्मर बदलने, बिजली कनेक्शन देने के मामलों में लोगों से पांच हजार से लेकर 10 हजार रुपए तक वसूले जा रहे हैं।

इससे ग्रामीणों में भारी आक्रोश है और इसलिए विद्युत निगम के कार्मिक पीट रहे हैं। मलिंगा विपक्षी दल के विधायक नहीं है। मलिंगा न केवल कांग्रेस के विधायक है, बल्कि सीएम गहलोत के कट्टर समर्थक है। यदि ऐसे विधायक खुली लूट का आरोप लगा रहे हैं तो प्रदेश के हालातों का अंदाजा लगाया जाना चाहिए।

गत वर्ष शिक्षकों के सम्मान समारोह में जब मुख्यमंत्री ने तबादलों में रिश्वत लेने का सवाल किया तो सभी शिक्षकों ने हाथ खड़े कर कहा कि तबादलों में शिक्षकों से रिश्वत ली जाती है। इस समारोह में तत्काली स्कूल शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा भी उपस्थित थे। विधानसभा के बजट सत्र में कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक रामनारायण मीणा, युवा विधायक कुमारी दिव्या मदेरणा के साथ साथ सीएम के सलाहकार संयम लोढ़ा (निर्दलीय विधायक) ने गहलोत सरकार के कामकाज को लेकर नाराजगी जताई है। कांग्रेस के विधायकों का कहना रहा कि सरकारी तंत्र में जनप्रतिनिधियों की सुनवाई नहीं हो रही है।

सवाल उठता है कि जब कांग्रेस के विधायक ही अपनी सरकार से संतुष्ट नहीं है, तब सीएम गहलोत सरकार के रिपीट होने का दावा कैसे कर रहे हैं? सीकर में गुरुकुल यूनिवर्सिटी के प्रकरण में तो सरकार के सुशासन की पोल जिस तरह खुली उसमें सरकार को अपना ही विधेयक वापस लेना पड़ा। अच्छा हो कि सीएम गहलोत जमीनी हकीकत का पता लगाएं।

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