हरिद्वार।

हिन्दू नववर्ष संवत् २०७९ का विश्व भर में फैले गायत्री परिवार ने सामूहिक अर्ध्यदान के साथ स्वागत किया। इस अवसर पर शांतिकुंज के श्रीरामपुरम में हजारों पीतवस्त्रधारी गायत्री साधकों ने एकत्रित हो सामूहिक अर्ध्यदान किया। सभी साधक एक-एक पात्र लेकर पहुंचे थे। पश्चात उत्साह एवं उमंग के जयघोष एवं नारे लगाते हुए युगऋषिद्वय के पावन समाधि स्थल पहुंचे। जहाँ साधकों ने विश्व शांति एवं राष्ट्र की उन्नति हेतु सामूहिक प्रार्थना की और दीपांजलि अर्पित की। वहीं देश विदेश के गायत्री साधक, अपने-अपने निकटवर्ती प्रज्ञा संस्थानों, जोन, उपजोन कार्यालयों में एकत्रित हो सामूहिक अर्ध्यदान में भाग लिया।

वहीं अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ.प्रणव पण्ड्या ने नवरात्र साधना में जुटे साधकों को प्रथम दिन वर्चुअल संदेश दिया। श्रीरामचरित मानस में श्रीरामवचनामृत विषय पर संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस संवत्सर का नाम राक्षस है। वैसे तो राक्षस शब्द का अर्थ नकारात्मक रूप में लिया जाता है, लेकिन इसका एक सकारात्मक रूप भी है, वह है रक्षा करने वाला। उन्होंने कहा कि पिछले संवत्सवर में कोरोनाकाल के भीषण दुश्वारियों ने हमें एक नई दिशा दी है और सावधानियाँ बढ़ाने के साथ जीवन जीने की एक जीवनशैली भी दे दी है। इसने इम्यूनिटी पावर बढ़ाने और प्रकृति के निकट रहने के लिए प्रेरित किया है।

अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या ने कहा कि इस बार की नवरात्रि में यही प्रयास होना चाहिए व्यक्ति अपने जीवन में देवत्व जगाने हेतु उन तथ्यों की व उन वचनों की गहराई में जाय, जो भगवान श्रीराम के मुख से निकले। उन्होंने कहा कि इन दिनों श्रीरामचरित मानस में श्रीरामवचनामृत को गहराई से जानने का प्रयास किया जाना चाहिए, जिससे अपने प्रभु श्रीराम के वचनों का महत्त्व को समझा जा सके। श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या ने कहा कि युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य ने जीवन भर एक सादा जीवन उच्च विचार को अपनाया है और लाखों करोड़ों को प्रेरित किया।

इससे पूर्व शांतिकुंज के मुख्य सभागार में देश विदेश से आये साधकों को संबोधित करते हुए देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के डीन (छात्र कल्याण) संदीप कुमार ने नवरात्र साधना में सफलता के रहस्य एवं अनुष्ठान की रीति नीति पर विस्तार से प्रकाश डाला। साधकोंं ने सामूहिक साधना के माध्यम से आत्मिक कल्याण एवं विश्व शांति के लिए हवन एवं जप तप कर रहे हैं। इस अवसर पर देश के कोने कोने से आये साधक गण उपस्थित रहे।

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