इतिहास के पन्नों में कोशी के लोगों के लिये काले दिन के रूप में दर्ज है। क्योंकि इसी दिन घटित रेल दुर्घटना में करीब एक हजार से ज्यादा लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी थी। पूर्वांचल उत्थान संस्था मृतकों के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता है और विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
मानसी-सहरसा रेलखंड पर घमहरा घाट पर देश का सबसे बड़ा रेल हादसा हुआ था,जिसमें सैकडों लोग काल के गाल में समा गए थे। तेज रफ्तार से मानसी से सहरसा के तरफ आ रही ट्रेन यात्रियों से खचाखच भड़ी हुई थी।लोग जल्दी अपना घर पहुंचना चाहते थे, लेकिन उन्हें जरा भी अहसास नहीं था कि उनके लिए यह यात्रा अंतिम यात्रा होने वाली है। बारिश का महीना था और ट्रेन अपनी रफ्तार से दौड़ रही थी कि तभी अचानक ट्रेन के ड्राइवर ने ब्रेक लगा दिया जिसके बाद पैसेंजर ट्रेन की सात बॉगियां पुल से बागमती नदी में गिर गई।
हादसे के दौरान 300 लोगों की मौत हो गयी लेकिन कई लोगों का शव कई दिनों तक बोगियों में फंसा रहा। इस हादसे में मरने वालों की सरकारी आंकड़े के अनुसार संख्या 300 थी। लेकिन बाद में रेलवे के अधिकारियों ने जानकारी दी थी कि हादसे में 800 से 1000 के करीब लोग मारे गए। इस हादसे को देश के सबके बड़े रेल हादसे के रूप में याद किया जाता है।
इस हृदय विदारक रेल दुर्घटना के बरसी पर आज उन सभी दिवंगत आत्माओं के प्रति अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त करता हूँ।
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