देहरादून

हिन्द प्रताप सिंह

बीते कुछ दिनों पहले माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा अपने अंतरिम आदेश में जिलाधिकारी देहरादून को अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए गए थे। इससे पहले माननीय उच्चतम न्यायालय ने भी उत्तराखंड में सभी अतिक्रमण को हटाने के आदेश दिए थे जिसको निष्प्रभावी करने के लिए सरकार अध्यादेश लाई थी और उस अध्यादेश में 11 मार्च 2016 की स्थिति को यथावत रखने हेतु निर्देश सभी नगर निकायों को दिए गए थे। पर इस स्थिति यह है की नगर निकायों और जिला प्रशासन द्वारा ना तो माननीय उच्चतम न्यायालय न ही माननीय उच्च न्यायालय ,नैनीताल और ना ही सरकार द्वारा पारित कानूनों का पालन किया जा रहा है। इन कानूनों का अनुपालन हेतु समाज सेवक व समाज सेवी संगठन समय-समय पर जिलाधिकारी व नगर निकायों के अधिकारियों से शिकायत करते रहते हैं परंतु उसके बाद भी कोई कार्यवाही नहीं होती। वास्तव में अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए और वोट बैंक की राजनीति के लिए अतिक्रमण जैसे विषय को जो कि राष्ट्र की सुरक्षा के लिए भी खतरा है, गंभीरता से नहीं लिया जाता। न्यायालयों व प्रदेश सरकार के बनाए गए कानूनों के बाद भी नगर निकाय इतने भ्रष्ट हो चुके हैं की उक्त कानूनों के अनुपालन हेतु शिकायत मिलने के बाद भी उचित कार्रवाई नहीं करते। समाजसेवी संगठनों की शिकायत पर अभी देहरादून बिजली विभाग ने यह उत्तर दिया है कि नगर निगम देहरादून द्वारा उनको नगर निगम देहरादून के स्वामित्व वाली भूमि जिस पर अतिक्रमण किया गया गई का ब्यौरा नहीं दिया गया है और इस कारण से यूपीसीएल 3 गुना फीस लेकर विद्युत कनेक्शन अतिक्रमण वाली भूमि पर हुए अवैध निर्माणों को जारी कर रही है। गंभीर विषय यह है की नगर निगम द्वारा सीएम पोर्टल पर की गई कार्यवाही ओं को भी गंभीरता से नहीं लिया जा रहा और नगर निगम देहरादून के अधिकारी शिकायतों के निस्तारण हेतु भ्रामक आख्या पोर्टल पर अपलोड कर देते हैं और ऐसे अधिकारियों के विरुद्ध भी कोई कार्यवाही नहीं होती। गौरतलब यह है कि आज न्यायपालिका कार्यपालिका के सामने और कार्यपालिका भ्रष्ट अधिकारियों व नेताओं के सामने नतमस्तक हो चुकी है और कानूनों का उल्लंघन करने के बाद भी भ्रष्ट अधिकारियों पर कोई कार्यवाही नहीं होती। विजिलेंस विभाग भी ऐसे अधिकारियों की शिकायत मिलने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं करता और सरकार द्वारा सामाजिक न्याय हेतु बनाया गया पूरा तंत्र विफल होता दिखाई देता है। ऐसे में प्रश्न यह उठता है की माननीय उच्चतम न्यायालय, माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल उत्तराखंड सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों का अनुपालन करते हुए अतिक्रमण के विरोध निर्णायक कार्यवाही कब होगी।

 

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