रुड़की। अर्जून धारीवाल

मंगलौर कोतवाली क्षेत्र के एक व्यक्ति ने उपचार में लापरवाही का आरोप लगाते हुए चिकित्सकों को उसकी पत्नी की मौत का जिम्मेदार ठहराया है। पीड़ित की ओर से मामले की सूचना पुलिस को दी गई वहीं सिविल अस्पताल में चिकित्सकों के पैनल ने महिला के शव का पोस्टमार्टम किया।

रुड़की सिविल अस्पताल पोस्टमार्टम हाउस के बाहर पत्रकारों से वार्ता करते हुए मंगलौर कोतवाली क्षेत्र के मुंडलाना निवासी मेघराज सिंह ने बताया कि उसकी पत्नी रजनी का उपचार मंगलौर कोतवाली क्षेत्र में दिल्ली रोड स्थित सक्षम अस्पताल में चल रहा था।
उसकी पत्नी 6 सप्ताह की प्रेग्नेंट है चिकित्सकों ने 19 जनवरी को बाहर से अल्ट्रासाउंड करवाने की बात कही जब उन्होंने बाहर से अल्ट्रासाउंड करवाया तो रिपोर्ट में आया कि बच्चा नलों में फंसा हुआ है। रिपोर्ट आने के बाद चिकत्सकों ने रजनी को अस्पताल के आईसीयू में भर्ती करने की बात कही मेघराज के अनुसार करीब 6 से 7 दिन आईसीयू में रखने के बाद 24 जनवरी को चिकित्सकों ने बताया कि बच्चे के अंदर धड़कन है और ऑपरेशन करना होगा। जब मेघराज ने ऑपरेशन के लिए सहमति भर दी तो चिकित्सकों ने ऑपरेशन शुरू कर दिया। मेघराज के अनुसार ऑपरेशन के दौरान नगर के एक सर्जन को भी अस्पताल चिकित्सक द्वारा बुलाया गया जब उन्होंने सर्जन को बुलाए जाने का कारण चिकित्सकों से पूछा तो उन्होंने बताया कि ऑपरेशन के दौरान रजनी की आंतों में ऑपरेशन कर रही चिकित्सक का हाथ लग गया और उसकी आंते फट गई हैं।

मेघराज ने बताया कि इसके बाद रजनी को वेल्टीनेटर पर डाल दिया। वहीं बुधवार 1 फरवरी देर रात रजनी को।चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। मेघराज के अनुसार उन्होंने करीब छह लाख 20 हजार रुपए का भुगतान अस्पताल को किया और दो लाख रुपए की मांग और की गई। दो लाख न देने पर अस्पताल द्वारा उन्हे कोई कागज़ नही दिए गए। वहीं उन्होंने मामले की सूचना पुलिस को दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया जहां चिकित्सकों के पैनल ने रजनी का पोस्टमार्टम किया।इस मामले में मृतक के पति मेघराज का कहना है कि उसने कोतवाली मंगलौर को तहरीर दे दी है।

वहीं इस संबध में सक्षम अस्पताल के संचालक डा. सुशील नागर ने बताया महिला की एक सर्जरी पहले एम्स में भी हुई थी जहां बच्चा नलों में फंसा था लेकिन तब भी उसकी ट्यूब निकालनी पड़ी थी। अब फिर से महिला को प्रेंगनेंसी हुई लेकिन इस बार भी बच्चा ट्यूब में फंस गया। नागर के अनुसार जब इसके महिला का ऑपरेशन किया गया तो उसके शरीर के ऑर्गन आपस में चिपके थे जिन्हें हटाने के दौरान अक्सर इस प्रकार की इंजरी हो जाती है इंजरी होने पर सर्जन डॉ.हेमंत को बुलाया गया और उपचार के बाद उसे वेल्टीनेटर पर शिफ्ट कर दिया। नागर के अनुसार महिला की मौत में चिकित्सकों की कोई लापरवाही नहीं है। उनकी ओर से बेहतर उपचार दिया गया है। इसके साथ ही नागर का कहना है कि महिला की मौत के बाद उन्होंने अस्पताल का पूरा बिल जो कि करीब तीन से साढ़े तीन लाख होगा वह भी माफ कर दिया। महिला का पति पैसे देने की बात गलत बता रहा है। वही इस मामले में मंगलौर कोतवाली के एसएसआई दीप कुमार का कहना है कि उन्हें अभी इस मामले में कोई तहरीर नहीं मिली है।

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