मातृ सदन हरिद्वार में गंगा, हिमालय और उत्तराखंड बचाने हेतु 3 दिवसीय सेमिनार का दूसरा दिन, प्रथम सत्र
शुरुआत पहाड़ की सशक्त एक्टिविस्ट (अनेक बार जेल गई) श्रीमती सुशीला भंडारी के गंगा भजन से हुई।
साउथ अफ्रीका के पूर्व सांसद श्री जय नायडू और उनकी टीम सेमिनार में शामिल हुए।
अनिल गौतम : आस्था को वैज्ञानिक रूप से समझाया गंगा जल की शुद्धता मापने के लिए एक्सपेरिमेंट किया। गंगा जल में पशु गोबर मिलाया और 24 घंटे छोड़ दिया । हैरानी हुई देखकर की मालयुक्त गंगा जल साफ हो गया। गंगा की विलक्षणता सड़न को दूर करती है। वर्तमान में गंगा शुद्ध करने में एसटीपी ऊपरी सफाई पर ध्यान केंद्रित है जिससे कभी भी गंगा का भला नहीं हो सकता।
मुकुंदा दास स्वामी (हरे कृष्णा) : स्वामी निगमानंद जी को याद करते हुए गंगा की महिमा का वर्णन किया। साध्वी पद्मावती के जज्बे को नमन किया कि वो कहती हैं कि ठीक होने पर वो फिर अनशन करेंगी।उन्होंने दुख भरे स्वर में कहा, पूजन इत्यादि धार्मिक कार्यों में जिस मां को सबसे पहले याद करते हैं उसी का अनादर करते है। मातृ सदन को नमन जो सबको प्रकृति के नष्ट होने और उसका सरंक्षण करने को बार बार समझाते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से कृत्रिम प्रकृति का सृजन करने का प्लान चल रहा है।
जय नायडू : मैं साउथ अफ्रीका से आया हूं, 1860 में मेरी ग्रेट ग्रैंड मदर को वेल्लोर तमिलनाडु से गुलाम बना कर अफ्रीका ले जाया गया। उनको गंगा पूजा न करने का दुख था इसलिए यहां आने पर सबसे पहले गंगा को प्रणाम किया। गंगा की हालत देख कर बहुत दुख हुआ जो प्लास्टिक से अटी पड़ी थी।
गांधी जी का सत्याग्रह का आरंभ साउथ अफ्रीका से भारत मे आया।

आपने गांधी को अफ्रीका भेजा और हमने उन्हें महात्मा गांधी बना कर भेजा
अगर हम नदियों को साफ नही रखेंगे तो बीमार पड़ जायेंगे।
मुझे नेल्सन मंडेला के साथ काम करने का सौभाग्य मिला जिन्होंने गुलामी को खत्म किया।
अफ्रीका की मशहूर Nile नदी जो की वहां की लाइफ लाइन है।
