हरिद्वार

राजकुमार 

यू तो प्रदेश मे लगातार घोटालो पर घोटाले हो रहे है यूके एसएसएससी घोटाला, छात्रवृत्ति घोटाला, पेपर लीक घोटाला, कोरोना जाँच घोटाला, लाइब्रेरी घोटाला,आदि जिसे ऐसा मौका मिला उसने मौके का भरपूर फायदा उठाया
ऐसा ही हरिद्वार जिले मे लगा प्रशासक कार्यकाल चर्चा का विषय बना हुआ है, सूत्र कहते हैं कि अगर शासन की दृष्टि प्रशासक कार्यकाल पर पड जाए व जांच शुरू की जाए तो लगभग जिले में करोड़ों के घोटाले का पर्दाफाश हो सकता है
आपको बता दे की वर्ष 2020 में कोरोना महामारी के बाद ग्राम प्रधानों का कार्यकाल खत्म होने के बाद ग्राम पंचायतों के चुनाव में हुई देरी के कारण पूरे हरिद्वार जिले में प्रशासक कार्यकाल (ग्राम सचिव) का कार्यकाल लगा था
प्रशासक कार्य काल यानी जब जिले मे ग्राम प्रधानो का कार्य काल समाप्त हो चुका था तब 1वर्ष तक सेकेट्री (सचिव) का कार्य काल लगा
सूत्र कहते हैं कि प्रशासक कार्यकाल में सेक्रेटरीयो की खूब चांदी कटी है

1वर्ष मे सेक्रेटरी ने क्या किया

हैरान करने वाली बात, जो काम ग्राम प्रधान अपने 5 वर्ष के कार्यकाल में नहीं करवा पाए या जितना ग्राम पंचायत में धन नहीं खर्च कर पाए उससे कहीं ज्यादा प्रशासको ने अपने 1 वर्ष के कार्यकाल में कर दिया लेकिन सोचने वाली बात यह है की प्रशासको ने 1 वर्ष के कार्यकाल में जितना कार्य ग्राम पंचायतों में दिखाया है वह धरातल पर हुआ ही नहीं ग्राम पंचायतों में वाटर कूलर लगाए गए जहां धरातल पर वाटर कूलर है ही नहीं, और एक वाटर कूलर की कीमत का 3 गुना पैसा सरकारी अकाउंट से निकाला गया, हाई मस्क लाइट, स्ट्रीट लाइटो, के लिए पैसा निकाला गया लेकिन धरातल पर स्ट्रीट लाइट देखने को ही नहीं मिल रही या फिर स्ट्रीट लाइट बाजार से तीन से चार गुना रेट में खरीदी गई, (एक साधारण सा व्यक्ति भी बाजार से अगर कुछ इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदता है तो उसकी गारंटी/वारंटी कार्ड अवश्य लेता है ताकी इलेक्ट्रॉनिक सामान खराब होने पर उसे आसानी से बदला या रिपेयर किया जा सके) लेकिन यहां पर तो सेक्रेटरीयो ने कमाल ही कर दिया आज खरीदी हुई स्ट्रीट लाइट मात्र 2 महीने बाद रिपेयरिंग के लिए भेज दी जिसमें हजारों का खर्च भी दिखा दिया, जिस सड़क या जिस पुलिया को ग्राम प्रधान पहले ही अपने कार्यकाल में बनाकर बिल पास करवा चुका है वही सड़क या पुलिया का बिल दोबारा से प्रशासक कार्यकाल में भी पास करवाया गया है ऐसे ही तमाम कई तरह की ग्राम पंचायतों में कमियां है जो भ्रष्टाचार का संकेत देती है जिस पर अगर जांच बैठाई जाए तो वह दिन दूर नहीं होगा जब प्रशासक कार्यकाल घोटाला उत्तराखंड में हुए अन्य घोटालों की तरह बम की तरह फटेगा

राजकुमार की कलम से

 

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