हरिद्वार
राजकुमार
विश्व भर में प्रसिद्ध देवों की भूमि धर्म नगरी हरिद्वार को यूं तो देशभर में तीर्थ स्थल के नाम से जाना जाता है जहा पर मां गंगा की पावन धाराओं में दूरदराज से आए श्रद्धालु गंगा स्नान कर अपने आप को मनोकामना पूर्ण होने की दिलासा देते है
लेकिन धर्म नगरी हरिद्वार में प्रतिदिन नए-नए कृत्यों को देख- सुनकर हरिद्वार ही क्या देश का हर नागरिक शर्म से अपने मस्तक को झुका लेता है अन्य कर्त्यो पर बात ना करके सिर्फ एक टॉपिक भ्रष्टाचार पर चर्चा करते हैं जिसने पूरे हरिद्वार को जकड़ रखा है
सूत्रों की माने तो पूरे प्रदेश में हो रहे भ्रष्टाचार की जड़ कहीं ना कहीं हरिद्वार से ही शुरू होती है जैसे बीते दिनों “कोरोना जांच घोटाला” “यूके एसएसएससी घोटाला” “लाइब्रेरी घोटाला” “लेखपाल/ पटवारी पेपर लीक घोटाला” “छात्रवृत्ति घोटाला” और हाल ही में “नंदा गोरा योजना” में करोड़ों के घोटाले का मामला भी सामने आया है
जहां पर उत्तराखंड सरकार की ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना के तहत लड़कियों के लिए महत्वपूर्ण नंदा गौरा देवी योजना में फर्जी आय प्रमाण पत्र के जरिए करोड़ों
रुपए का गबन किया है
हरिद्वार : मुख्य विकास अधिकारी प्रतीक जैन की जांच में खुलासा हुआ है, कि लोगों ने कंप्यूटर ऑपरेटर की मदद से अपने आय प्रमाण पत्रों में अपनी आय कम दिखाकर सरकार से पैसे ऐंठ लिए इस योजना में 6 माह से छोटी बच्ची के अभिभावक को 11 हजार रुपये और 12 वीं कक्षा पास करने पर छात्राओं को 51 हजार की धनराशि मिलती है।
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फर्जी आय प्रमाण पत्र तैयार कर नंदा गौरा योजना “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” योजना के करोड़ों रुपए अपने खाते में डलवाए हैं लेकिन क्या सिर्फ फर्जी प्रमाण पत्र के सहारे ही लाभार्थियों ने सरकारी पैसे को अपने अकाउंट में डलवाया है, क्या कोई विभागीय अधिकारी/ कर्मचारी इसमें लिफ्त नहीं है क्या ऐसा मुमकिन हो सकता है कि बिना किसी विभागीय कर्मचारी/ अधिकारी की मिलीभगत से इतना बड़ा घोटाला हो सकता है यह एक सवालिया निशान है:-
कड़वा सत्य:– भ्रष्टाचार की शुरुआत विभागों से ही होती है चाहे विभाग की अनदेखी/ लापरवाही कहे या लिफ्फ्त्ता, अगर विभाग 100% अपने कार्य में रूचि दिखाएं व अपने संपूर्ण कार्य को गंभीरता से करें तो भ्रष्टाचार कोसों दूर हो जाता है
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बीते वर्ष 2021-22 में हरिद्वार जिले में लगे प्रशासक कार्यकाल से भी भ्रष्टाचार की ‘बू’ आ रही है- जिले की ग्राम पंचायतों में प्रशासकों द्वारा कराए गए कार्यों को शासन अगर गंभीरता से लें और ग्राम पंचायतों में हुए कार्यों की जांच कराई जाए तो ग्राम पंचायतों में हुआ घोटाला बम की तरह फटेगा
सूत्र कहते हैं- की ग्राम पंचायतों में स्ट्रीट लाइट लगाई गई परंतु अगले ही महीने लगाई गई स्ट्रीट लाइट की रिपेयरिंग भी दिखाई गई, जबकि अगर कोई साधारण सा व्यक्ति भी अपने लिए इलेक्ट्रॉनिक्स सामान खरीदने जाता है तो सबसे पहले दुकानदार से गारंटी/ वारंटी कार्ड की बात करता है
2: ग्राम पंचायतो मे हाई मस्क लाईट लगाई गई एक लाईट का लगभग एक लाख रु का बिल पास कराया गया
जबकी एक खम्बा उस पर चार
चाईना की एल ई डी लाईट लगाकर मात्र 20 हजार रु मे तेयार कर सकते हो
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जो सड़क किसी अन्य योजना से पहले ही तेयार हो चुकी, उस पर भी प्रशासक कार्यकाल मे दोबारा से बिल पास हो चुके है
अन्य योजना सड़क निर्माण
उदाहरण:-A के मकान से लेकर D के मकान तक सड़क निर्माण की कुल लागत ××××× रु है
प्रशासक कार्यकाल: B के मकान से लेकर C के मकान तक कुल लागत ××××× रु है
नोट: A से लेकर D तक एक ही सड़क है
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जिले मे ऐसी कोई भी पंचायत नहीं होगी जिसमें प्रशासक कार्यकाल में “वाटर कूलर” ना लगाए गए हो, लेकिन “वाटर कूलर” को आप ढूंडते रहोगे लेकिन नही मिलेगा
नोट: “उल्लेख न्यूज़” की टीम प्रशासक कार्यकाल की सच्चाई सबके सामने लाने मे जुटी हुई है
आपका सहयोग आपके द्वारा दी गई जानकारी टीम को मंजील तक पहुचा सकती है
राजकुमार की कलम से ✍
