खनन माफियाओं ने पत्रकार की कीमत लगाई मात्र 33 रुपए 33 पैसे “पढ़ें” राजकुमार की कलम से
कड़वा है मगर सत्य है
यूं तो चारों ओर अवैध खनन माफियाओं का तांडव देखने और सुनने को मिलता ही रहता है लेकिन क्या आपने सोचा है की अवैध खनन क्यों नहीं रुक पाता
इस पोस्ट को एक सच्ची कहानी की तरह पढे-
एक खनन माफिया मिट्टी परमिशन के लिए विभाग में आवेदन करता है कुछ समय उपरांत विभाग द्वारा मिट्टी उठाने की परमिशन दे दी जाती है अब खनन माफिया अपने कार्य में पूरी टीम के साथ जुट जाता है और खनन विभाग की नियमावली को ताक पर रखकर धीरे-धीरे अवैध खनन करना शुरू कर देता है
जिसकी भनक समाज को आईना दिखाने वाले पत्रकारों को लग जाती है और वह कवरेज करने के लिए कार्य स्थल पर पहुंच जाते हैं
जैसे ही कवरेज शुरू करते हैं तो खनन माफिया पत्रकार को ₹1000 देकर कवरेज ना करने के लिए कहता है जिस पर पत्रकार ₹1000 लेने के बाद खुश हो जाता है और उसे लाखों रुपए की मिट्टी उठाने के लिए कवरेज न करके मात्र 33 ₹ प्रतिदिन के लालच मे खनन माफिया को अवैध खनन करते हुए देख कर भी अनदेखा कर देता है निडर खनन माफिया दिन रात अवैध खनन कर धरती का सीना चीर लाखों रुपए प्रतिदिन कमाता है
पत्रकार को दिए हजार रूपये का गुणनफल
1000÷30 दिन=33 रु 33 पेसे पत्रकार को ₹1000 देने के बाद खनन माफिया बेखौफ होकर लगातार अवैध खनन करता है और 1 दिन में लाखों रुपए की कमाई कर लेता है
मात्र ₹33 के लालच में समाज को आईना दिखाने वाले पत्रकार ने एक खनन माफिया को लाखों रुपए प्रतिदिन कमाने की अनुमति प्रदान कर दी काश अगर वही पत्रकार खनन माफिया के द्वारा किए गए अवैध खनन को कवरेज कर अधिकारियों को अवगत कराता तो अधिकारियों द्वारा अवैध खनन मैं लिप्त जेसीबी मशीन व डंपरो पर कार्यवाही होती तो सरकारी राजकोष में जुर्माने की धनराशि लाखो मे जमा होती जो कहीं ना कहीं सरकार द्वारा जनता के हित के कार्यों में लगाई जाती, लेकिन मात्र 33रु के लिए सब कुछ पता होने के बावजूद भी एक पत्रकार द्वारा कवरेज ना कर के सरकार को लाखों का नुकसान पहुंचाया गया है जिसमें खनन माफिया के साथ-साथ पत्रकार भी सरकार को नुकसान पहुंचाने की श्रेणी में आता है
आखिर दोषी कौन
पत्रकार या खनन माफिया
कृपया कमेंट में जरूर बताएं
