हरिद्वार:-

राजकुमार

प्रदेश में यू तो लगातार घोटालों पर घोटाले खुलते चले आ रहे हैं और लगातार घोटालेबाजो के उपर कार्यवाही भी हो रही है चाहे वह यूकेएसएसएससी घोटाला हो, कोरोना जाँच घोटाला हो, छात्रवृत्ति घोटाला हो, लाइब्रेरी घोटाला हो, या फिर नंदा गौरा योजना घोटाला हो, घोटालों में लिप्त भ्रष्ट अधिकारियों पर लगातार कार्यवाही भी हो रही है सरकार जहां एक ओर पर्यावरण को बचाने के लिए व गंगा सफाई के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है वही कुछ अधिकारियों की लापरवाही या मिलीभगत से सरकार का करोडों रुपए पानी में बहता नजर आ रहा है

आपको बता दें कि ज्वालापुर क्षेत्र से लेकर बहादराबाद क्षेत्र तक नहर किनारे सिंचाई विभाग की भूमि पर वन गुर्जरों ने लंबे समय से अवैध कब्जा कर अपना डेरा जमाया हुआ है और लगातार नहर किनारे खड़े हरे-भरे वृक्षों को काट- काट कर पर्यावरण को दूषित किया जा रहा है जब इस बारे में कब्जा धारियों से बात की गई कि तुम सिंचाई विभाग की भूमि को खाली क्यों नहीं करते हो क्या तुम्हें वन विभाग या सिंचाई विभाग जमीन खाली करने के लिए नहीं कहता तो इस पर उन्होंने विभाग पर आरोप लगाते हुए कहा कि हमारे से सिंचाई विभाग की जमीन को कोई खाली नहीं करवा सकता क्योंकि हमारे डेरों से लाखों रुपए महीने के हिसाब से विभागों को पहुंचाया जाता है तभी तो इतने सालों तक हम यहां पर जमे हुए हैं

वही जब सिंचाई विभाग की भूमि के कब्जे को लेकर व हरे भरे पेड़ को नष्ट कर वातावरण को दूषित करने की बात को लेकर सिंचाई विभाग और वन विभाग से बात की गई तो दोनों विभाग एक दूसरे विभाग पर बात टालते हुए, पल्ला झाड़ते नजर आए एक विभाग ने पत्रकारों को यह तक कह दिया की आप अपना फोन जेब में से निकालकर टेबल पर रख दो
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अब देखना यह है कि जहां सरकार वातावरण को बचाने के लिए व नहर की सफाई के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है वही विभाग की लापरवाही कहे या सांठगांठ की वजह से पर्यावरण दूषित होता नजर आ रहा है

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