बरेली के मीरगंज थाना इलाके में संपत्ति के विवाद में साढ़े तीन साल पहले माता-पिता की हत्या करने वाले वकील को अदालत ने उसे फांसी की सजा सुनाई है।

दुर्वेश का माता-पिता की परवरिश से कोई सरोकार नहीं था। वह सिर्फ संपत्ति में हिस्सा लेना चाहता था।छोटे भाई को जायदाद में ज्यादा हिस्सा मिलने से वह इस कदर तमतमा गया था कि उसने माता-पिता की गोली मारकर हत्या कर दी थी।

बंदूक (पौनिया) कंधे पर डालकर वह पैदल ही वहां से निकल गया था। कोई उसे पकड़ने की हिम्मत भी नहीं जुटा सका था।

सेवानिवृत्त अध्यापक लालता प्रसाद, पत्नी मोहन देवी के साथ बहरोली गांव में रहते थे। बगल में ही दूसरे मकान में उनका छोटा बेटा उमेश रहता था। उमेश ही माता-पिता की परवरिश करता था। लालता प्रसाद ने अपने हिस्से की जमीन भी उमेश को दे रखी थी। पेंशन की रकम भी उसी को देते थे।

लालता प्रसाद का बड़ा बेटा दुर्वेश, पत्नी प्रेमलता, बेटी अनुष्का, बेटे दीपेश और आरू के साथ मीरगंज की टीचर कॉलोनी में रहता था। वहीं वकालत भी करता था। वह पिता से पेंशन की रकम और जमीन मांगता था पर वह इसके लिए तैयार नहीं थे।

उसे पता लगा कि पिता उस हिस्से को भी उमेश को दे रहे हैं, जिसमें वह खुद रहते हैं। इससे नाराज दुर्वेश ने 13 अक्तूबर 2020 को रिश्तों को दरकिनार कर माता-पिता की हत्या कर डाली।

उमेश ने उसी दिन दुर्वेश के खिलाफ रिपोर्ट करा दी थी। एक महीने बाद उसकी गिरफ्तारी की जा सकी।

पिता को एक तो मां को मारी थी दो गोलियां
दुर्वेश ने घर में घुसकर पहला फायर पिता लालता प्रसाद पर किया। उमेश ने कोर्ट को बताया कि उनका, उनके भाई दुर्वेश व पिता के बीच संपत्ति का बंटवारा 10 साल पहले हो गया था। घटना वाले दिन वह पत्नी के साथ माता-पिता के लिए चाय लेकर जा रहे थे। तभी पिता के घर से फायरिंग की आवाज आई।
उन्होंने देखा कि दुर्वेश पिता को घसीटकर कमरे में ले जा रहा था। पिता खून से लथपथ थे। दंपती चीखे तो दुर्वेश ने बंदूक लेकर उनको भी दौड़ा लिया तो वह पीछे हट गए। इतने में मां शौचालय से बाहर निकलीं तो दुर्वेश ने उनको दो गोलियां मार दीं और वहां से चला गया।

दोनों पक्ष के वकीलों ने दिए तर्क
मंगलवार को सुनवाई के दौरान जिला शासकीय अधिवक्ता ने दोषी को मृत्युदंड दिए जाने की मांग की, ताकि भविष्य में कोई भी पुत्र ऐसा करने का विचार भी मन में न लाए। बचाव पक्ष की ओर से इसे पहला अपराध बताते हुए परिवार के भरण-पोषण का भी हवाला दिया गया। सजा सुनाए जाने के दौरान दोषी का कोई भी परिजन अदालत में नहीं आया।

गांव में घर पर पड़ा ताला
मंगलवार को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई तो अमर उजाला टीम ने दुर्वेश के घर का हाल देखा। पता लगा कि उसकी पत्नी अपने बच्चों के साथ घर में ताला लगाकर कहीं रिश्तेदारी में चली गई हैं। भाई उमेश ने कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया। कहा कि जो हुआ, उसके बारे में अब कुछ नहीं कहना चाहते।

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