पोर्श कांड में टिंगरे का नाम सामने आने पर अजित पवार ने कहा कि सुनील टिंगरे उस क्षेत्र के विधायक हैं, जहां घटना हुई। जब भी ऐसी घटनाएं होती हैं स्थानीय विधायक अक्सर घटनास्थल का दौरा करते हैं।

देश में इन दिनों पुणे में हुए सड़क हादसे की चर्चा हो रही है। तेज रफ्तार लग्जरी कार ने एक मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी थी, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी। कार एक 17 साल का रईसजादा चला रहा था, जो शराब के नशे में धुत था। वहीं, इस मामले में विधायक सुनील टिंगरे की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। उन पर दुर्घटना के बाद यरवदा पुलिस स्टेशन जाने और अधिकारियों पर मामले में नरम रुख अपनाने का दबाव बनाने का आरोप है। हालांकि अब टिंगरे के बचाव में उपमुख्यमंत्री अजित पवार आ गए हैं। उन्होंने कहा कि विधायक टिंगरे पर बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे हैं। टिंगरे पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) से हैं। वह पुणे शहर में वडगांव शेरी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। इससे पहले आरोप लगे थे कि टिंगरे ने यह सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप किया था कि पुलिस किशोर से बुरा बर्ताव न करें।अजित पवार ने कहा कि घटना के तुरंत बाद जांच शुरू हो गई थी। गृह मंत्री और सीएम शिंदे ने भी सुनिश्चित किया कि जांच सही तरीके से हो। उन्होंने आगे कहा, ‘मैंने इस मामले के संबंध में पुणे सीपी को कोई फोन नहीं किया। हमारे विधायक टिंगरे ने इस संबंध में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्हें हाई शुगर है और अभी अस्वस्थ है। यही वजह है कि वह जनता के सामने नहीं आ रहे हैं। मैंने उनसे संपर्क किया और उन्होंने मुझे बताया कि वह किसी भी तरह की जांच के लिए तैयार हैं और वह गलत नहीं हैं।’ पोर्श कांड में टिंगरे का नाम सामने आने के बारे में पूछे जाने पर अजित पवार ने कहा, ‘सुनील टिंगरे उस क्षेत्र के विधायक हैं, जहां घटना हुई। जब भी ऐसी घटनाएं होती हैं स्थानीय विधायक अक्सर घटनास्थल का दौरा करते हैं। सवाल है कि क्या सुनील टिंगरे ने मामले को दबाने की कोशिश की, तो ऐसा नहीं है। उनके खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार हैं।’

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने इस घटना के बाद पुणे के पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार को फोन किया था, पवार ने कहा, ‘मैं कई बार पुलिस आयुक्त को कई मुद्दों पर फोन करता हूं, लेकिन मैंने इस मामले में उन्हें एक भी फोन नहीं किया है। उपमुख्यमंत्री पवार ने आगे कहा कि उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दुर्घटना के अगले दिन पुणे पुलिस को सघन जांच करने का निर्देश दिया था। यहां तक कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी सही से जांच करने के निर्देश दिए हैं। उन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई जिन्होंने शुरू में प्रक्रिया में देरी की। मामले में शामिल ससून जनरल अस्पताल के कर्मचारियों को भी पुलिस कार्रवाई का सामना करना पड़ा है।

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