हरिद्वार, 

उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय में आजादी का अमृत महोत्सव समारोहपूर्वक मनाया गया। कुलपति प्रोफेसर देवीप्रसाद त्रिपाठी ने राष्ट्रीय ध्वज फहराकर कार्यक्रम की शुरुआत की। विश्वविद्यालय के अकादमिक द्वार पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कुलपति ने कहा कि भारत एक शसक्त राष्ट्र के रूप में पूरी दुनियां में जाना जाता है,इसलिए कि इस देश में अनेकता में एकता है,हमेशा से ही भारत ने दुनियाँ को नेतृत्व प्रदान किया है। देश की आजादी के लिये कुर्बान हुए रणबाँकुरों का जीवन हमें प्रगति करने हेतु प्रेरित करता है,स्वतंत्रता सेनानियों के अमर बलिदान से अनुप्राणित भारत पूर्ण आत्मनिर्भर होकर विश्वगुरू बनने की ओर तेजी से बढ़ रहा है।

भारत की नई शिक्षा नीति देश के उदात्त मूल्यों पर आधारित है,देश के युवा इस शिक्षा नीति से पूर्ण स्वावलंबी बन सकेंगे। भारत सरकार की यह नीति मैकाले की शिक्षा नीति के विपरीत भारत के लोगों को आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, परतंत्रता से मुक्त कर स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाने वाली है। कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी ने अपने उदबोधन में देश के शहीदों, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को याद करते हुए अनेक संस्मरण साझा किए।

उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में अनेक माता बहिनों ने अपना सुहाग खो दिया, अनेक युवाओं ने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर अपने प्राणों की बाजी लगा दी,उनके उसी त्याग के कारण हम आज खुली हवा में सांस ले रहे हैं।उन्होंने कहा आजादी के स्वर्णिम इतिहास को हमें याद रखने की आवश्यकता है।कुलसचिव ने विश्वविद्यालय के विकास में अपनी भरपूर ऊर्जा लगाने का आह्वान करते हुए सभी कर्मचारियों का आभार प्रकट किया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष, सह आचार्य ,सहायक आचार्य, कर्मचारियों ने समारोह में प्रतिभाग किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *