हरिद्वार।

जिलाधिकारी हरिद्वार विनय शंकर पाण्डेय की अध्यक्षता में कैम्प कार्यालय में जिला गंगा संरक्षण समिति की बैठक आयोजित हुई।
बैठक में गंगा के आसपास निवास करने वाले पशु पालकों द्वारा गोबर बहाये जाने के मामले पर चर्चा हुई। इस पर जिलाधिकारी ने मुख्य पशु अधिकारी एवं नगर निगम के अधिकारियों को निर्देश दिये कि वे पूरे क्षेत्र को चार जोन में बांटना सुनिश्चित करें तथा आपसी समन्वय से कहां-कहां गौशालायें हैं तथा कुल कितने पशु हैं, के सम्बन्ध में विवरण तैयार कर लें।

बैठक में गंगा के विभिन्न घाटों में सूचनात्मक बोर्ड-गंगा नदी में पूजा सामग्री आदि प्रवाहित न करें, से सम्बन्धित तथा अन्य प्रकार के सूचनात्मक बोर्ड लगाने के मामले में नगर आयुक्त ने बताया कि ये बोर्ड शीघ्र ही लगा दिये जायेंगे।

इसके अलावा उन्होंने कहा कि ऐसे क्षेत्रों से जो गोबर प्राप्त होगा, उसका प्रयोग हम कहां-कहा तथा किस रूप में कर सकते हैं, के सम्बन्ध में भी योजना तैयार कर लें ताकि इस समस्या का स्थायी निवारण हो सके। जिलाधिकारी ने इस सम्बन्ध में देहरादून का उदाहरण देते हुये कहा कि वहां छोटी-छोटी मशीनों द्वारा गोबर से खाद व कई उत्पाद तैयार किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस माॅडल का भी अध्ययन करने की आवश्यकता है।

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विनय शंकर पाण्डेय को डी0एफ0ओ0 नीरज कुमार ने बताया कि विभिन्न नालों में 11 सी0सी0टी0वी0 कैमरे लगे हैं, लेकिन अभी इनकी माॅनिटरिंग की व्यवस्था नहीं हो पाई है। इस पर जिलाधिकारी ने नगर निगम के अधिकारियों को माॅनिटरिंग करने हेतु व्यवस्था बनाने के निर्देश दिये।

सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने जिलाधिकारी को बताया कि लगभग सभी नालों की सफाई की जा चुकी है, लेकिन भारी वर्षा के समय नालों के ओवर फ्लो हो जाने की वजह से नालों का पानी नदी में मिल जाता है।

बैठक में कस्सावान नाले के सम्बन्ध में विस्तृत चर्चा हुई। अधिकारियों ने बताया कि इस क्षेत्र में मांस का व्यापार करने वालों के नौ लाइसेंस निरस्त किये जा चुके हैं तथा कई दुकानें बन्द हैं। इस पर जिलाधिकारी ने निर्देश दिये कि अधिकारी हर सप्ताह इस क्षेत्र का भ्रमण करेंगे तथा अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। अगर कहीं पर कार्रवाई करने की आवश्यकता है, तो सिटी मजिस्ट्रेट तथा नगर आयुक्त इसके लिये अधिकृत होंगे।

जिलाधिकारी को बैठक में गंगा नदी में डालफिन तथा महाशीर मछली के लिये उपयुक्त वातावरण बनाने सम्बन्धी योजना के सम्बन्ध में अधिकारियों ने बताया। इस पर जिलाधिकारी ने अधिकारियों को इस सम्बन्ध में अगली बैठक में विस्तृत विवरण प्रस्तुत करने के निर्देश दिये।

भगीरथ बिन्दु पर भगीरथ की प्रतिमा पुनः स्थापित किये जाने के सम्बन्ध में नगर आयुक्त ने बताया कि प्रतिमा स्थापित करने के लिये कई संस्थायें तैयार हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग वहां पर प्रतिमा स्थापित करने के सम्बन्ध में अपना तकनीकी तर्क प्रस्तुत कर रहा है। इस पर जिलाधिकारी ने निर्देश दिये कि अगली बैठक में सिंचाई विभाग, उत्तर प्रदेश को भी बैठक में आमंत्रित किया जाये। बैठक में एस0टी0पी0 जगजीतपुर से खेतों में पानी भर जाने के सम्बन्ध में भी चर्चा हुई। इस पर सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने बताया कि लगभग 10 कि0मी0 कैनाल क्षतिग्रस्त हुई है, जिसकी वजह से पानी खेतों में पहुंच रहा है, इसकी मरम्मत जल्दी ही करा दी जायेगी।

विभिन्न सेतुओं-हरकीपैड़ी आदि में ऊपर तक जाली लगाने, ताकि इन सेतुओं से पूजा सामग्री आदि गंगा में प्रवाहित न हो सके, के सम्बन्ध में जिलाधिकारी ने सिंचाई विभाग, लोक निर्माण आदि को इन सेतुओं में जाली लगाने के निर्देश दिये।
बैठक में गोविन्दपुरी का नाला उल्टा बहने तथा इसके लिये सुरक्षा की दीवार बनाये जाने, गंगा घाटों को गोद लेने का प्रकरण, घाटों के आसपास अतिक्रमण होने, भारत माता मन्दिर, भूपतवाला में अवैध खनन, खण्डित मूर्तियों का मामला, सभी नालों में जाल लगाने, भू-समाधि के लिये स्थान का चिह्नीकरण, पालीथिन पर प्रतिबन्ध लगाने आदि के सम्बन्ध में भी विस्तृत चर्चा हुई।

इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी(वित्त एवं राजस्व) वीर सिंह बुदियाल, अपर जिलाधिकारी(प्रशासन) प्यारे लाल शाह, नगर आयुक्त दयानन्द सरस्वती, डी0एफ0ओ0 नीरज कुमार, आर0ओ0 यूईपीपीसीबी सुभाष रावल, ए0एम0 हरिद्वार वेपकोस अमित शर्मा, इंजीनियर वेपकोस अंकुर सिंह, प्रोजेक्ट एसोसिएट (डब्ल्यूआईआई) विपुल मौर्या, अभिहित अधिकारी एफडीए आर0एस0 पाल, रामेश्वर गौड़, बीइंग भागीरथी के संस्थापक शिखर पालीवाल, सामाजिक कार्यकत्र्ता मनोज निषाद, परि0स0 निर्माण एवं अनुरक्षण ईकाई (गंगा) पेयजल निगम आर0के0 जैन, सचिन कुमार, प्रोजेक्ट मैनेजर, पेयजल निगम, अजय कुमार, ईई जलसंस्थान, राकेश कुमार, जल संस्थान सहित सम्बन्धित विभागों के अधिकारीगण उपस्थित थे।

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