उत्तराखण्ड।
कोरोना के महामारी के लगातार फैलने के बाद, औद्योगिक गतिविधियों में गिरावट, आर्थिक कार्यकलापों के क्षरण और बढ़ती हुई बेरोजगारी व वेतन कटौती और आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोत्तरी सामान्य जन को बुरी तरह प्रभावित कर रही है।

उपभोक्ता महंगाई आम जनता के साथ-साथ श्रमिको/ कर्मचारियों को विशेष तौर पर प्रभावित कर रही है। विगत 18 माह से गहगाई दर ० प्रतिशत की सीमा पार कर चुकी है, जबकि पिछले 5 वर्षो में महंगाई दर 3 से 5 प्रतिशत के बीच रही।”
खाद्य पदार्थों एवं दवाइयों के मूल्यों में तीव्र वृद्धि ने जनता एवं श्रमिने / कर्मचारियों का जीवन कठिन बना दिया है। अन्तर्राष्ट्रीय मूल्यों में बढ़ोत्तरी के नाम पर देश में खाद्य तेली की कीमतें बढ़ायी जा रही है। सरकार को ये अनचाही आयातित महंगाई पर नियंत्रण करना चाहिए। कम्पनियों उपभोक्ताओं को लूटने के लिए कालाबाजारी करके मौके का अनुचित फायदा उठा रही है। केन्द्र सरकार द्वारा अत्यावश्यक वस्तु अधिनियम की धारा 3 (1) मे से खाद्य तेल, तिलहन, दलहन, प्याज और आलू को मुक्त कर दिया गया। सरकार की भावना किसानों की मदद के लिए हो सकती है। परन्तु इसका लाभ सटोरियों और कालाबाजारियो ने उठाया और बाजार में इसकी कृत्रिम कमी करके उन्होंने इनके मूल्यो मे अत्याधिक वृद्धि की है।
कच्चे तेल, धातु आदि की कीमतों में बढ़ोत्तरी भी आवश्यक वस्तुओं के मूल्यों की बढ़ोत्तरी का कारण है। देश मे भवन निर्माण सामग्री की तेजी से बढ़ती हुई कीमतों के कारण भवन निर्माण कार्य महगा होता जा रहा है। कम्पनियों आपस मे सांठ गांठ करके कीमतों में कृत्रिम बढ़ोत्तरी करके लाभ कमाने का प्रयास कर रही है, जिसे रोका जाना आवश्यक है।
धातुओं व अन्य आयातित वस्तुओं की बढ़ती हुई कीमते लम्बे समय तक चलने वाली उपभोक्ता वस्तुओं, रसायन, वस्त्र उद्योग सहित देश सभी उद्योगों में समस्याएँ खड़ी कर रही है। उपभोक्ता वस्तुओं की कीमत उत्पादन लागत से एक अनुपात में होनी चाहिए। यह उपभोक्ताओं अतएव, सज्ञान में लायेगा कि उत्पादनकर्ता द्वारा कितना लाभ कमाया जा रहा है।
1. उत्पादनकर्ता द्वारा प्रत्येक वस्तु की लागत मूल्य की घोषणा को अनिवार्य करने का कानून बनाकर इसे लागू किया जाय।
2. आवश्यक वस्तुओं एवं पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में बढ़ोत्तरी पर नियन्त्रण रखना।
3. पेट्रोलियम पदार्थों के प्रतिदिन कीमत निर्धारण पद्धति का समापन करना और पेट्रोलियम।
पदार्थों को जी०एस०टी० के दायरे में लाया जाय।
4. धातुओं एवं अन्य वस्तुओं की अन्तर्राष्ट्रीय कीमतों में बढ़ोत्तरी के छद्म बहाने द्वारा व्यक्तियों एवं कम्पनियों का गैर वाजिब लाभ रोकना और इस तरह के मामलों में दोषी व्यक्तियों पर आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत कार्यवाही करना।
5. किसानों को पारिश्रमिक भुगतान द्वारा खाद्य पदार्थों के उत्पादन में बढ़ोत्तरी हेतु कदम
उठाना।
6. खाद्य तेलो, दालो एवं अन्य खाद्य पदार्थों के सन्दर्भ में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए खाद्य पदार्थों के मूल्यों पर नियन्त्रण आवश्यक है इस हेतु लम्बी अवधि के लिए योजना बनायी जाय।
7. सार्वजनिक क्षेत्रो एवं निजी क्षेत्रों दोनों के श्रमिको/ कर्मचारियों के वेतन बढ़ाकर, महंगाईकी क्षतिपूर्ति हेतु कदम उठाना।
8. अत्यावश्यक वस्तु अधिनियम की धारा 3(1) में की गयी उपरोक्त छूट को तुरन्त वापस लिया जाय। दिनांक 13-15 अगस्त 2021 तक अयोध्या उत्तर प्रदेश में सम्पन्न भारतीय मजदूर संघ की केन्द्रीय कार्यसमिति यह मांग करती है कि केन्द्र एवं राज्य सरकारों द्वारा इस मूल्य
वृद्धि / महंगाई के खिलाफ प्रभावी कार्यवाही अविलम्ब की जाय अन्यथा भारतीय मजदूर संघ द्वारा इस विषय को लेकर देश के सभी जिला मुख्यालय पर आम जनता को साथ लेकर जनजागरण सहित आन्दोलन की कार्यवाही की जायेगी।
1. भेल में कार्यरत सभी संविदा श्रमिकों को जो पिछले 10 से 15 वर्षों से कार्यरत है। उनको नियमित कर्मचारी घोषित किया जाये।
2. संविदा श्रमिकों का ब्रेक बंद किया जाये।
3. प्रत्येक माह कम से कम 26 दिन की ड्यूटी दी जाये।
4. नियमित कर्मचारी की भांति संविदा श्रमिकों को चिकित्सा
सुविधा दी जाये ।
5. नियमित कर्मचारी की भांति उसी के समान कार्यरत संविदा श्रमिक को वेतन समान कार्य का समान वेतन शीघ्र किया जाये।
6. बोनस अवकाश वार्षिक नकदीकरण, पी०पी० पूर्व की भांति दिया जाये।
