कानपुर
कानपुर के कारोबारी पीयूष जैन की दौलत के बारे में जानकर हर कोई हैरान है। किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एक मामूली से दिखने वाले कारोबारी ने अरबों की दौलत जमा कर रखी थी। छापे के दौरान पीयूष जैन के कब्जे से 200 करोड़ कैश, 23 किलो सोना और 6 करोड़ की कीमत का चंदन तेल बरामद किया गया है। इसके अलावा एक तहखाने का भी खुलासा हुआ है।
छापेमारी के दौरान डीजीजीआई (DGGI) की टीम को 500 चाबियां, 109 ताले और 18 लॉकर मिले हैं। कुल मिलाकर अंदाजा लगाया जाए तो पीयूष की ये सारी दौलत करीब 1000 करोड़ की है। आपको सिलसिलेवार बताते हैं कि आखिर डीजीजीआई की टीम पीयूष जैन तक पहुंची कैसे?

चेकिंग के दौरान पकड़े गए थे 4 ट्रक
करीब ढाई महीने पहले अहमदाबाद की डीजीजीआई (DGGI) यानी डायरेक्टरेट ऑफ़ जीएसटी इंटेलिजेंस की टीम ने चेकिंग के दौरान एक-एक कर चार ट्रकों को पकड़ा। ट्रक में पान मसाले का सामान लदा था। लेकिन हैरानी बात ये थी कि इन ट्रकों में लाखों रुपये का माल पैक होने के बावजूद इसका एक भी बिल 50 हज़ार रुपये या फिर उससे ज़्यादा का नहीं था, और इसकी वजह सीधी सी थी, टैक्स की चोरी। असल में गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स के नियमों के मुताबिक 50 हज़ार या उससे ज़्यादा की रकम वाले बिल्स के लिए ई-वे बिल्स जेनरेट करना ज़रूरी होता है। क्योंकि ई-वे बिल्स के ज़रिए ही इतनी क़ीमत वाली चीज़ों का राज्य के अंदर या फिर एक राज्य से दूसरे राज्य में ट्रांसपोर्टेशन करने की इजाज़त है। लेकिन यहां पकड़े गए ट्रकों के सारे के सारे बिल पचास हज़ार से कम की रकम के थे और ये शक पैदा करने की एक बड़ी वजह थी।
जीएसटी बचाने के लिए फर्ज़ी इनवाइसेज़
डीजीजीआई ने अब इस मामले की गहराई से जांच शुरू की। तब टीम को पता चला कि इस ट्रांसपोर्टर ने जीएसटी चुकाने से बचने के लिए 200 से ज़्यादा फ़र्ज़ी इनवाइसेज़ तैयार किए हैं और सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगा चुका है। जांच आगे बढ़ी और इसका सीधा कनेक्शन कानपुर से जुड़ा क्योंकि ये पान मसाला भी कानपुर से आ ही भेजा गया था। ट्रांसपोर्टर भी कानपुर का ही था। तब से लेकर अब तक डीजीजीआई की टीम बड़ी खामोशी से इस पूरे मामले की जांच करती रही। और तो और ख़ुद ट्रांसपोर्टर और पान मसाला कारोबारी को भी ये शक नहीं हो सका कि कल को जांच की आंच अहमदाबाद से करीब 11 सौ किलोमीटर दूर कानपुर में उनके ठिकाने तक भी पहुंच सकती है। लेकिन जो सोचा नहीं था, वही हो गया।
शिखर मसाला की फैक्ट्री पर छापा
क़रीब ढाई महीने बाद 22 दिसंबर की रात क़रीब 8.00 बजे डीजीजीआई की टीम ने रात को अचानक कानपुर के ट्रांसपोर्ट नगर में मौजूद शिखर मसाला की फैक्ट्री पर छापा मारा। इसी फैक्ट्री के पास ही गणेश ट्रांसपोर्ट का भी दफ़्तर है, जिनके ट्रकों में जीएसटी चोरी वाले पान मसालों का जखीरा भरा हुआ था। लिहाज़ा, डीजीजीआई की एक टीम ने शिखर पान मसाले के साथ-साथ गणेश ट्रांसपोर्ट पर दबिश डाल दी। इस तरह दो ठिकानों पर एक साथ रेड की शुरुआत हो गई। शिखर पान मसाला के मालिक प्रदीप अग्रवाल का घर दिल्ली में है, लिहाज़ा, तब तो उनसे पूछताछ नहीं हो सकी, लेकिन डीडीजीआई ने गणेश ट्रांसपोर्ट के मालिक प्रवीण जैन को हिरासत में लेकर उससे पूछताछ शुरू कर दी। शुरुआती छानबीन में ही उसके ठिकाने से जांच अधिकारियों को एक करोड़ रुपये की रकम हाथ लग गई। लेकिन ये तो अभी शुरुआत भर थी।

ऐसे सामने आया पीयूष जैन का नाम
22 और 23 दिसंबर की दरम्यानी रात क़रीब 3.30 बजे डीजीजीआई की टीम को पता चला कि टैक्स की चोरी में सिर्फ़ शिखर पान मसाला और गणेश ट्रांसपोर्ट ही शामिल नहीं है, बल्कि इस खेल में गणेश ट्रांसपोर्ट के मालिक यानी प्रवीण जैन के बहनोई अमरीश और उनके भाई पीयूष जैन का भी बड़ा रोल है। इस तरह एक के बाद एक कड़ियां जुड़ती जा रही थीं।
पीयूष जैन के घर छापेमारी नतीजा ये हुआ कि 22 और 23 दिसंबर की दरम्यानी रात को मुंह अंधेरे ही डीजीजीआई की टीम ने ट्रांसपोर्ट नगर के पास आनंदपुरी मोहल्ले में रहनेवाले त्रिमूर्ति फ्रेगरेंस प्राइवेट लिमिटेड के मालिक पीयूष जैन के घर छापेमारी कर दी। तब भी ये छापेमारी एक आम छापेमारी ही थी। लेकिन करीब 24 घंटे बाद यानी 24 दिसंबर की सुबह होते-होते जैसे ही पीयूष जैन के घर के अंदर से तस्वीरें और ख़बरें छन-छन कर बाहर आने लगी, सच्चाई जानकर लोगों का दिमाग़ घूमने लगा।
इत्र कारोबारी पीयूष जैन गिरफ्तार, छापेमारी में अब तक 357 करोड़ कैश और जूलरी बरामद
24 घंटे बाद तक जारी थी नोटों की गिनती
इत्र कारोबारी पीयूष जैन के यहां से डीडीजीआई की टीम को अलग-अलग अलमारियों में करीब डेढ़ सौ करोड़ रुपये से ज्यादा का कैश मिला है। ये एक बेहद बड़ी रकम थी। फिर तो इस छापेमारी को लेकर ऐसी-ऐसी जानकारियां सामने आने लगीं कि लोग हैरान होने लगे। 23 तारीख़ की सुबह से नोटों की जो गिनती शुरू हुई वो चौबीस घंटे बाद यानी 24 दिसंबर की सुबह तक भी पूरी नहीं हो सकी और जैसे-जैसे छापेमारी आगे बढ़ती रही एक से बढ़ कर एक नए-नए खुलासे भी होते रहे। चूंकि एक साथ इतने रुपयों का मिलना कोई मामूली बात नहीं थी और अब ये मामला सिर्फ़ जीएसटी चोरी का नहीं रह गया था, डीजीजीआई की टीम ने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की टीम को भी मौके पर बुला लिया और शुरुआत हुई एक ज्वाइंट महा-ऑपरेशन की।

नोट गिनते-गिनते अफसर हुए परेशान
आनन-फानन में डीजीजीआई और इनकम टैक्स की टीमों ने नोट गिनने की मशीनें मंगवाई। एक, दो, तीन, चार, पांच, छह… जितनी भी मशीनें मंगवाई गई, नोट गिनने में सारी की सारी मशीनें कम पड़ने लगीं। और इस तरह नोट गिनने की मशीनों की गिनती ही 18 तक जा पहुंची। हालत ये हुई कि इतनी मशीनों से भी नोट गिनते-गिनते डीजीजीआई और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के अफ़सरों की सांसें फूलने लगी। 24 दिसंबर को नोटों की इस सबसे बड़ी खेप को सुरक्षित बैंक तक ले जाने के लिए जांच अधिकारियों को पीयूष जैन के घर कंटेनर मंगवाना पड़ा और पहली खेप के तौर पर 25 बड़े-बड़े बक्सों में भर नोटों को बैंक में भिजवाया गया। लेकिन छापेमारी का दायरा इससे भी काफ़ी बड़ा था।
1000 करोड़ की दौलत, सोना और प्रॉपर्टी
सूत्रों की मानें तो पीयूष जैन के ठिकानों से अब तक 200 करोड़ रुपये कैश, 23 किलो सोना, 6 करोड़ का चंदन तेल, 500 चाबियां, 109 ताले, 18 लॉकर बरामद किए हैं। ये सब क़रीब 1000 करोड़ की दौलत मानी जा रही है। अब तक कानपुर में चार, कन्नौज में सात, मुंबई में दो, दिल्ली में एक और दुबई में दो प्रॉपर्टीज़ की बात सामने आई है। सूत्रों की मानें तो तकरीबन सभी की सभी प्रॉपर्टीज़ शहर के सबसे पॉश इलाकों में खरीदी गई हैं।
कोर्ट ने भेजा 14 दिन की न्यायिक हिरासत में
कानपुर के इत्र कारोबारी पीयूष जैन को महानगर मजिस्ट्रेट (कॉरपोरेशन) की कोर्ट में पेश किया गया। जहां से कोर्ट ने उन्हें 14 दिनों के न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। सरकारी वकील अम्बरेश कुमार के मुताबिक, 31 करोड़ 50 लाख रुपये की टैक्स चोरी पकड़ में आई है। वहीं, छापेमारी में 175 करोड़ रुपये कैश और 23 किलो सोना भी बरामद हुआ है।
