सहरसा

सरकार द्वारा जारी की नई शिक्षा नीति मे मातृभाषा के माध्यम से पढाने के लिए प्रयास किए जा रहे है।
मातृभाषा दिवस के दिन से जगह-जगह स्कूलों में जाकर शिक्षाविद सह मैथिली अभियानी दिलीप कुमार चौधरी लोगों को मातृभाषा के महत्त्व की जानकारी दे रहे है। इसी क्रम मे सी बी एस ई द्वारा मान्यताप्राप्त शहीद रमण स्कूल-बनगाॅव के छात्र एवं छात्राओं को मातृभाषा के महत्व को समझाते हुए कहा जो व्यक्ति अपने क्षेत्र, मातृभाषा और संस्कृति के प्रति उदासीन रहेंगे उनकी पहचान भी धीरे धीरे खत्म हो जाएगी।

अतः अपने भाषा के प्रति सकारात्मक रुख अपनाए। विदित हो भारत में भाषा के नाम पर आन्ध्रप्रदेश में काफी उग्र आन्दोलन हुआ। जिसके फलस्वरूप भाषा के आधार पर आंध्रप्रदेश भारत का पहला राज्य बना। वही भाषायी आन्दोलन के चलते बांग्लादेश का भी उदय हुआ। दिलीप कुमार चौधरी ने आगे बताया कि मातृभाषा के महत्त्व को समझते हुए युनीसेफ ने 21 फरवरी को मातृभाषा दिवस पूरे विश्व में मनाने का फैसला किया। शिक्षाविद चौधरी मैथिली भाषा के महत्व को बताने के क्रम मे मिथिला के गौरवशाली अतीत पर बोलते हए कहा मैथिली भाषा की अपनी लिपि, व्याकरण, अकादमी हस्तकला, पंचांग, विश्व स्तरीय मिथिला पेंटिंग्स, आचार-विचार ,पर्व त्योहार, अपनी पोशाक लोक-संस्कृति,लोक नृत्य, दार्शनिक अवदान के साथ गौरवशाली अतीत मैथिली भाषा और मिथिला के लिए बहुत ही गौरव की बात है।

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