हरिद्वार
हरिद्वार की विश्वप्रसिद्ध प्राचीन वैदिक संस्कृति वाहक संस्था गुरुकुल महाविद्यालय के मुख्य अधिष्ठाता के पद पर नव नियुक्त ठाकुर सोम चौहान से कार्यालय परिसर में भेंट कर उल्लेख न्यूज के मुख्य सम्पादक चौधरी निशांत रंजन ने शुभकामनाएं दी व महाविद्यालय के संचालन एवं वर्तमान व भविष्य की योजनाओं पर चर्चा की, महाविद्यालय के इतिहास व विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए ठाकुर सोम चौहान बताया की गुरुकुल महाविद्यालय की स्थापना वैशाख शुक्ला 3 (अक्षय तृतीया) सम्वत 1964 वि0 (तदनुसार 30 जून सन् 1907 ई0) को दानवीर स्वर्गीय बाबू सीताराम जी, इंसपेक्टर ऑफ पुलिस ज्वालापुर के सुरम्य उद्यान में “संस्कृत-शिक्षा के प्रचार एवं विलुप्त ‘ब्रह्मचर्याश्रम’ प्रणाली के पुनरुद्धार के विशेष उद्देश्य को लेकर स्वामी दर्शनानन्द जी सरस्वती के करकमलों द्वारा केवल तीन बीघा भूमि में बारह आने के स्थिर कोष से हुई थी।
ठाकुर सोम चौहान ने आगे बताया कि इस महाविद्यालय की विशेषता है कि यह प्राचीन ब्रह्मचर्याश्रम प्रणाली के आधार पर आर्यसमाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती द्वारा निर्दिष्ट पद्धति के अनुसार निर्धन एवं धनवान् छात्रो को सर्वथा समान भाव से वैदिक वाङ्मय की उच्चतम निःशुल्क शिक्षा देता है। शिक्षा का माध्यम आर्य-भाषा हिन्दी है। इस संस्था में वेद, वेदांग, उपनिषद्, दर्शनशास्त्र, संस्कृत साहित्य, धर्मशास्त्र आदि प्राच्य विषयों के अतिरिक्त हिन्दी, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान (भूगोल, इतिहास, नागरिक शास्त्र), कम्प्यूटर और अंग्रेजी भाषा की भी यथोचित शिक्षा दी जाती है। यहाँ से शिक्षा प्राप्त करके सहस्राधिक छात्र स्नातक बनकर देश के धार्मिक, सामाजिक, राजनैतिक, साहित्यिक आदि विभिन्न क्षेत्रों में बड़ी तत्परता और कुशलता के साथ कार्य कर रहे हैं। यह संस्था संस्कृत साहित्य के ज्ञान और उसके ठोस पाण्डित्य में अपना विशेष स्थान और प्रभाव रखती है।
ठाकुर सोम चौहान ने भविष्य की योजनाओं के विषय मे बताया कि कोरोना महामारी काल मे महाविद्यालय की व्यवस्थाओ को बड़ा आघात पँहुचा है, परन्तु संस्था के प्रबन्धन एवं सभी पदाधिकारियों, सहयोगियों के प्रयास से व्यवस्थाएं सुचारू की जा रही हैं वंही महाविद्यालय में छात्रों का आना शुरू हो गया है कक्षाओं में पठन कार्य निरन्तर प्रगति पर है।
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