चमोली, उत्तराखंड

आदि शंकराचार्य भगवत्पाद द्वारा स्थापित चतुराम्नाय पीठों में से अन्यतम श्री ज्योतिर्मठ बदरिकाश्रम हिमालय के उत्तराखण्ड क्षेत्र में स्थापित होने से जहाॅ एक ओर यह प्रदेश आध्यात्मिक उन्नति की ऊंचाई को प्राप्त कर चुका है वहीं पूज्यपाद ज्योतिष्पीठाधीश्वर (एवं द्वारका शारदापीठाधीश्वर) जगद्गुरु शंकराचार्य महाराज की विशेष कृपा दृष्टि के कारण आज इस प्रदेश को एक और विशिष्ट उपलब्धि प्राप्त हुई है जो न केवल इस उत्तराखण्ड प्रदेश के लिए अपितु समस्त सनातनधर्मियों के लिए गौरव का विषय है।

विश्व का सबसे विशाल स्फटिक श्रीयन्त्र अब ज्योतिर्मठ में

पूज्यपाद शंकराचार्य महाराज ने अपने अथक प्रयासों से पूरे उत्तर भारत में श्रीविद्या साधना को जन-जन में लोकप्रिय बनाया और उनके आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करते हुए जीवन को ऊँचा उठाने को प्रेरित किया।

इसी क्रम में ज्योतिर्मठ क्षेत्र के निवासियों पर विशेष कृपा करते हुए उन्होने दुर्लभ स्फटिक मणि से निर्मित श्रीयन्त्र को ज्योतिष्पीठ में स्थापित करने हेतु अपने प्रिय दण्डी संन्यासी शिष्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज को निर्देश दिया । इस श्रीयन्त्र का कुल भार 500 किलोग्राम एवं ऊॅचाई 4 फीट की है । शास्त्रों में स्फटिक मणि से निर्मित श्रीयन्त्र के दर्शन-पूजन से मनुष्य के समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति बतायी गयी है।

पूज्यपाद शंकराचार्य ने भेजा श्रीयन्त्र

पूज्यपाद शंकराचार्य महाराज इस समय मध्य प्रदेश के श्रीधाम जिले में स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं। विगत दिनों ज्योतिर्मठ के ब्रह्मचारी मुकुंदानन्द जब उनका दर्शन करने वहाॅ पहुचें तो उन्होने ज्योतिर्मठ क्षेत्रवासियों का कुशल क्षेम पूछा और साथ ही इस दिव्य स्फटिक मणि से निर्मित श्रीयन्त्र को ज्योतिष्पीठ में स्थापित करने हेतु सहर्ष प्रेषित किया शिवानन्द उनियाल परमहंसी गंगा आश्रम से यंत्र लेकर साथ आए।

चमोली मंगलम् के लिए होगी नवरात्रि में विशेष पूजा-अर्चना

विगत दिनों ज्योतिर्मठ प्रवास में पूज्य स्वामिश्रीः ने चमोली मंगलम् कार्यक्रम की घोषणा की थी और क्षेत्रवासियों ने भी इस विषय पर अपने विचार प्रकट कर सुझाव और स्वीकृति दी थी।

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