हरिद्वार।

उत्तराखंड परिवहन निगम के बढ़ते खर्चों को कम करने और सीमित संसाधनों का भरपूर उपयोग करने के लिए निगम के मुख्यालय स्तर पर रूड़की डिपो की कार्यशाला और निगम कर्मचारियों को हरिद्वार डिपो में विलय करने का निर्णय लिया गया है। लेकिन परिवहन निगम के विलय को लेकर सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं। सूत्रों की माने तो डिपो की जमीन पर किसी विधायक के कमर्शियल कॉन्प्लेक्स निर्माण किया जाना है। इसके लिए खेल किया गया है।

मिलीं जानकारी के अनुसार उत्तराखंड परिवहन निगम की वर्तमान व्यवस्था को सुगम और सुदृढ़ बनाने के लिए एवं कम मैनपावर में नीलाम संसाधनों का पूर्ण उपयोग कर प्रशासनिक खर्चों को कम करने के उद्देश्य से विलय किया गया है। इसका मुख्य कारण यह है कि हरिद्वार और रूड़की के बीच मात्र 31किमी की दूरी है। वहीं रूड़की डिपो में 30 बसों का संचालन किया जा रहा था। हरिद्वार- रूड़की बाईपास रोड का निर्माण होने के चलते अधिकांश बसों का संचालन बाईपास से किया जा रहा है। इसके चलते रूड़की डिपो की उपयोगिता कम हो गई और हरिद्वार और रूड़की डिपो की कार्यशाला और कर्मचारियों का विलय निगम मुख्यालय स्तर पर किया गया है। लेकिन स्थानीय स्तर पर निगम के विलय को लेकर सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उस जमीन पर किसी विधायक के कमर्शियल कॉन्प्लेक्स का निर्माण होना है। सच्चाई की तह में जाने के लिए अभी इंतजार करना होगा।

 

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