हरिद्वार: हरिद्वार तहसीलदार के फर्जी हस्ताक्षर कर पूर्व नायब नाजिर ने 28 बैंकों के चेक जारी कर दिए। फर्जीवाड़ा सामने आने पर जांच कमेटी गठित की गई तो इसका खुलासा हुआ। आरोपी ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए छह लाख 35 हजार रुपये तहसील कार्यालय में जमा करा दिए हैं। ज्वालापुर पुलिस ने तहरीर के आधार पर पूर्व नायब नाजिर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। मामले की जांच शुरू कर दी गई है।

पुलिस के अनुसार हरिद्वार तहसील में तैनात नायब नाजिर रविंद्र सरन सक्सेना ने शिकायत दी, जिसमें बताया कि एसबीआई क्लियरिंग हाउस के कॉल सेंटर से जानकारी ली गई कि क्या एक जुलाई को 35 हजार का चेक नगला खुर्द निवासी महिला और 11 जुलाई को 40 हजार का चेक संघीपुर निवासी महिला को जारी किया गया है। इस बारे में जब कार्यालय अभिलेखों के आधार पर पुष्टि करने की कोशिश की तो सामने आया कि दोनों चेक तहसील कार्यालय से जारी नहीं किए गए। चेक की छायाप्रत्ति मिलने पर तहसीलदार हरिद्वार के हस्ताक्षर चेक पर होने का पता चला। चेकबुक नजारत कक्ष में नहीं मिली।

कमेटी का किया गठन 

फर्जीवाड़े का पता चलने पर प्राथमिक जांच के लिए तहसील स्तर पर एक कमेटी का गठन किया गया। कमेटी की जांच में सामने आया कि पूर्व नायब नाजिर व जिला कार्यालय हरिद्वार में वरिष्ठ सहायक के पद पर तैनात भानु प्रताप सिंह ने ये फर्जीवाड़ा किया। पूछताछ करने पर उसने कुल 28 चेक फर्जी रूप से तैयार कर तहसीलदार हरिद्वार के फर्जी हस्ताक्षर बैंक में लगाने की बात कबूली। इससे उसने 6.35 लाख का दुरुपयोग किया। 26 जुलाई को अपनी गलती स्वीकार 6.35 लाख तहसील कार्यालय में रुपये जमा करा दिए। इस रकम को तहसीलदार हरिद्वार के नाम से संचालित खाते में जमा करा दिया गया। कोतवाली प्रभारी रमेश सिंह तनवार ने बताया कि मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।

 

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