हरिद्वार। नगर निगम कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों ने पत्रकार वार्ता के दौरान कर्मचारियों की समस्याओं से अवगत कराते हुए कहा कि उत्तराखण्ड प्रदेश में निकाय कर्मचारियों की स्थिति अन्य प्रदेशों की अपेक्षा ज्यादा ही दयनीय है। कई कई वर्षों से प्रदेश की निकायों में आउटसोर्स, संविदा हो या मोहल्ला स्वच्छता समिति में सफाई कर्मचारी, लिपिक, स्ट्रीट लाईट, ड्राईवर कार्यरत हैं, न तो उनको समान कार्य का समान वेतन दिया जा रहा न ही उनका स्थाईकरण किया गया।

सुरेंद्र तेशवर ने कहा कि अभी गत दिनों में पर्यावरण पर्यवेक्षकों के पर्दा का जो खाका उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को भर्ती के लिए उत्तराखंड शासन द्वारा दिया गया उसमे चार पांच पदों को छोड़ कर सभी पद जनरल कोटे में डाल दिये गए इसका हमारे मोर्चे ने आदेश की प्रति फूंक कर विरोध किया है, जबकि पूर्व में सफाई कर्मचारियों को 50% विभागीय पदोन्नति कर लाभ दिया जाता था।

शासन के इस निर्णय को लेकर अन्य निकायों में भी इसका कड़ा विरोध हो रहा है। नगर निगम हरिद्वार में कर्मचारियों को तरह तरह से प्रताड़ित करने की भी मोर्चे को शिकायते मिल रही हैं। एक षड्यंत्र के तहत चतुर्थ श्रेणी के पदों को मृत कैडर में डाल कर समाप्त कर दिया गया है, सफाई कर्मचारियों के लिए भारत सरकार द्वारा बनाई गई मलकानी कमेटी की सिफारिश पर समाज कल्याण विभाग के अनुदान से बनाये गए आवासों तथा नगर निगम की भूमि पर अनेक वर्षों से रह रहे कर्मचारियों को बोर्ड प्रस्ताव 12 (6) संख्या की स्वीकृति, तथा बोर्ड द्वारा गठित समिति की सिफारिशों के बाद भी उन्हें मालिकाना अधिकार नहीं दिया जा रहा है

अपनी व अपने परिवार की जान को जोखिम में डालकर गन्दगी को साफ करने वाले सफाई कर्मी का वर्षों से सामूहिक बीमा भी बन्द है, कर्मचारियों की पुरानी पेंशन को भी बहाल नहीं किया जा रहा है, सेवानिवृत्त होने पर कर्मचारियों को एकमुश्त भुगतान भी नहीं किया जाता है

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