लक्सर।

विभागीय लोगों की माने तो लक्सर मे अधिकतर रेलवे अधिकारी एवं कर्मचारी का पोस्टिंग लक्सर में हो रखा है। जिसमें से अधिकतर कर्मचारी व अधिकारी लक्सर में निवास नहीं करते वह रुड़की, हरिद्वार, देहरादून में निवास करते हैं। वही से ही ड्यूटी करने के लिए लक्सर में आते-जाते हैं जबकि रेल विभाग द्वारा रहने के लिए क्वार्टर की व्यवस्था की गई है। लेकिन वह क्वार्टर में नहीं रहते।

जो क्वार्टर खाली पड़े हैं उन क्वार्टर में प्राइवेट लोग रह रहे हैं। तो कई खंडहर पड़े है। जो खंडहर पड़े हैं वह चोर उच्चको की शरण स्थली बने है। रेलवे महकमा रेलवे अधिकारियों और कर्मचारियों को हाउस अलाउंस दे रहा है ऐसे में विभागीय सुविधा का सुख भोगने के साथ आवास मद में मिलने वाले अलाउंस का मजा उठाया जा रहा है।

मंडल में आवास भत्ता के हेरफेर का एक बड़ा खेल चल रहा है। लक्सर में 497 रेलवे क्वार्टर थे। जिसमें से 101 क्वार्टरों को डैमेज घोषित कर दिया था। इन क्वार्टर में टाइप वन, टाइप टू, टाइप थ्री के क्वार्टर है। कब्जा करने वालों में कई रेलवे कर्मचारी एवं रिटायर्ड कर्मी है। कई महा पूर्व हाउस कमेटी की एक बैठक स्टेशन अधीक्षक कार्यालय में हुई थी।

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बैठक में इंजीनियरिंग विभाग आरपीएफ और अधिकारियों की संयुक्त रूप से हिस्सा लिया था। अवैध रूप से रह रहे बाहरी लोगों को निकालने के लिए योजना बनाई गई थी। साथ ही यह भी निर्णय लिया गया था कि जिस पूल होल्डर्स के स्वामी ने अपना रेलवे आवास किराए पर दे रखा है । उसको वह किराएदार से खाली करवा दे। अगर किराएदार से खाली नहीं करवाता है तो उसके खिलाफ विभागीय कार्यवाही की जाए। लेकिन विभागीय कार्रवाई नहीं की गई जिसके चलते रेलवे क्वार्टर पर बाहरी लोगों का कब्जा बरकरार है।

हाउस अलाउंस का मजे से चल रहा है खेल

मुरादाबाद मंडल में हाउस अलाउंस का खेल उचित कमीशन पर धड़ल्ले से चल रहा है। इसमें विभागीय जिम्मेदारों की मिलीभगत की बात भी सामने आ रही है। मुरादाबाद मंडल में सैकड़ों अधिकारी कर्मचारी रेल पुलिस और सेवानिवृत्त कर्मों के क्वार्टर और हाउस अलाउंस एक साथ लेने का मामला प्रकाश में‌ आ रही है।

विभागीय रिकार्ड के मुताबिक क्वार्टर सुविधा लेने वाले रेलकर्मी विभाग से हाउस रेंट का भुगतान भी उठा रहे हैं। ऐसे कई मामले रेलवे क्वार्टर में नाजायज दखल को लेकर देखा जा सकता है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर छोटे कर्मचारियों भी इस गोरखधंधे का लाभ लेने से नहीं हिचक रहे हैं। जबकि विभाग के जिम्मेदार सभी तथ्यों से अवगत कराते हुए ऊपरी कमाई के नाजायज हिस्से से लाभ पाने के लिए मौन धारण किए हुए हैं।

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ऐसा प्रतीत होता है कि पूरा विभाग की इस भ्रष्ट खेल को संरक्षण दे रहा है। कई क्वार्टरो की स्थिति ठीक-ठाक होने के बावजूद ऊपरी कमाई के लोभ में खतरनाक घोषित करने से भी विभाग के जिम्मेदार बाज नहीं आ रहे हैं। एक बार क्वार्टर खतरनाक घोषित हो जाने पर उस जगह को खाली कर देने का नियम है। नियमों के मुताबिक क्वार्टर का पानी बिजली और शौचालय की व्यवस्था को विच्छेद कर ध्वस्त करना आवश्यक है। परंतु सभी नियमों को दरकिनार कर सिर्फ कागज पर क्वार्टर को खतरनाक घोषित कर क्वार्टर दे दिया जा रहा है। ताकि लोग उक्त क्वार्टर में रहे और पानी बिजली और शौचालय जैसी रेलवे से मिलने वाली सुविधा का उपयोग कर सकें। लेकिन विभाग के कागजों में उसका जिक्र नहीं है। ताकि ऐसे कर्मी को रेलवे से निर्धारित हाउस अलाउंस मिलता रहे।

स्थिति इतनी बदतर है कि विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को मामले की जानकारी होने के बावजूद भी दोषी लोगों के खिलाफ कार्यवाही नहीं की जाती है । जिससे हाउस अलाउंस का गोरखधंधा तेजी से फल-फूल रहा है। उधर निर्माण विभाग के अधिकारी बृजमोहन सिंह का कहना है कि लक्सर में 497 क्वार्टर में से 101 क्वार्टरों को खंडहर घोषित किया गया था जिनको ध्वस्त करा दिया गया था। अब दोबारा विभाग से लिस्ट मांगी गई है इसके बाद ही खंडहर घोषित कर क्वार्टर को ध्वस्त किया जाएगा।

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