रूद्रपुर
ब्यूरो रिपोर्ट
यू तो उत्तराखण्ड प्रदेश मे लगातार घोटाले पर घोटाले हो रहे है कही कोरोना जाँच घोटाला, कही लाईब्रेरी घोटाला तो कही नंदा गौरा योजना घोटाला, आदि समय समय पर जिस विभाग या अधिकारी/कर्मचारी को मौका मिला, इतिहास गवाह है उसने ही अपना रंग दिखाया, हालांकी भ्रष्टाचार मे लिप्त अधिकारी/कर्मचारीयो को समय – समय पर जेल की हवा भी खानी पड़ रही है, ऐसा ही एक मामला रुद्रपुर से सामने आया है जहां शराब के ठेकों में हुए एक बड़े गड़बड़झाले की बजह से आबकारी विभाग सुर्खियों में है।
उध्मसिंह नगर जिले में आबकारी विभाग की ओर से आवंटित की गई देशी व विदेशी शराब की 12 दुकानो की लगाई गई बैंक गारंटी फर्जी पाई गई है। रामपुर जिले के जिस राष्ट्रीय बैंक से गारंटी बनाकर विभाग में जमा की गई, वहां के प्रबंधक ने दस्तावेज बैंक से बने होने से इंकार कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक मामले को दबाने के लिए विभाग में जमा की गई फर्जी बैंक गारंटियों को बदलने की कोशिशें की जा रही है। आस्चर्य की बात है कि जिले का आबकारी विभाग ऐसी किसी गड़बड़ी से मुकर रहा है, जबकि सहायक आयुक्त ने जांच में फर्जीवाड़ा पकड़ने की पुष्टि की है। आबकारी विभाग ने कुछ समय पहले दूसरे राज्स में 20 से अधिक शराब के ठेकों का आवंटन किया था,
शराब के ठेको की एवज में आबकारी विभाग को शराब कारोबारियों ने प्रतिभूति की एवज में 31 मार्च 2024 तक की बैंक गारंटी जमा करा दी थी। इसके बाद दुकानों का संचालन हो रहा था। कुछ दिन पहले उच्चाध्किारियों के संज्ञान में आया तो उन्होंने ठेकों की बैंक गारंटी की जांच की। इनमें से 12 ठेकों की बैंक गारंटी रामपुर जिले मे स्थित बैंक आफ बड़ौदा की शाखा से बनी हुई है। अलग-अलग अनुज्ञापियों की ओर से लिए गए ठेकों से आबाकरी अपफसरों का माथा ठनक गया। आबकारी विभाग के सहायक आयुक्त केके कांडपाल ने जब उसकी जांच की तो पता चला कि ये दस्तावेज बैंक की ओर से जारी नहीं किए गए थे, लेकिन दस्तावेजों में बैंक मुहरों के साथ उनके जारी करने वाले अधिकारियों के दस्तखत भी है। माना जा रहा है कि बैंक के किसी कर्मचारी या अध्किारी की मिलीभगत हो सकती है।
इधर, जिला आबकारी अधिकारी
अशोक मिश्रा का कहना है कि ऐसा कोई मामला नहीं है। किसी तरह की कोई जांच नहीं हो रही है। जबकि आबकारी आयुक्त एचसी सेमवाल ने कहा कि मामले में अधिकारियों से जानकारी ली जा रही है। इसके बाद ही कुछ कहा जा सकेगा।