13 जनवरी 2022 को पूरे देश में लोहड़ी का त्योहार धूम-धाम से मनाया जा रहा है। लोहड़ी साल का पहला त्योहार है। मकर संक्रांति से ठीक एक दिन पहले लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है। भारत के कई राज्यों में लोहड़ी का पावन त्योहार उत्साह के साथ मनाया जाता है, जिसमें पंजाब, हरियाणा और जम्मू कश्मीर के कुछ इलाके शामिल हैं। लोहड़ी कृषि आधारित त्यौहार है। आज के दिन नई फसल को काटा जाता है। शाम में लकड़ी और उपलों से आग जलाई जाती है, जिसमें इस कटी हुई फसल को भोग के तौर पर सबसे पहले अर्पित किया जाता है। लोहड़ी परंपरागत रूप से किसान परिवारों में सबसे बड़ा उत्सव  है। मान्यता है कि अग्नि में नई फसल का भोग लगाकर भगवान को भोग चढ़ाया जा रहा है। इस मौके पर स्वादिष्ट पकवान बनते हैं। लोग संज संवर कर अग्नि की पूजा करते हैं और अपने दोस्तों व प्रियजनों को लोहड़ी की शुभकामना देते हैं। इस लोहड़ी अगर आप अपनों से दूर हैं, तो खूबसूरत संदेशो, वॉलपेपर और व्हाट्सएप के जरिए लोहड़ी की बधाई दे सकते हैं।

लोहड़ी का यह त्योहार मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है। सिख धर्म के अनुसार लोहड़ी का त्योहार नविवाहित जोड़ों और शिशुओं को बधाई देने का है। सिंधी समाज में भी मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व लाल लोही के रूप में इस पर्व को मनाया जाता है। लोहड़ी को पहले तिलोड़ी कहा जाता था। लोहड़ी का यदि शाब्दिक अर्थ लिया जाए तो ल का अर्थ लकड़ी, ओ का अर्थ उपले और ड़ी का अर्थ रेवाड़ी से है। यानि तीनों शब्द के अर्थों को मिला कर लोहड़ी बना है। पूरे देश में लोहड़ी का पर्व धार्मिक आस्था, ऋतु परिवर्तन और कृषि उत्पादन से जुड़ा है। लोहड़ी की शाम को सभी लोग एक स्थान पर इकट्ठे होकर आग जलाते हैं और इसके इर्द-गिर्द नाचते-गाते हैं। इस दिन अग्नि देवता को खुश करने के लिए अलाव में गुड़, मक्का, तिल व फूला हुआ चावल जैसी चीजें भी चढ़ाई जाती हैं।आइए जानते हैं लोहड़ी के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में। साथ ही ये भी जानते हैं कि लोहड़ी की अग्नि में तिल क्यों चढ़ाया जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *