हरिद्वार:

जिलाधिकारी विनय शंकर पाण्डेय की अध्यक्षता में कलक्ट्रेट सभागार में वनाग्नि घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण/रोकथाम हेतु गठित जिला स्तरीय समिति की बैठक आयोजित हुई।

बैठक में जिलाधिकारी ने वन विभाग के अधिकारियों से वर्तमान में हरिद्वार वन प्रभाग में वनाग्नि की घटनाओं, अतिसंवेदनशील वन क्षेत्र, संवेदनशील वन क्षेत्र आदि के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी ली। इस पर वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि हरिद्वार जनपद में कुल 07 वनाग्नि की घटनायें घटित हुई थीं, जिसमें 212.40 हैक्टेयर क्षेत्र क्षतिग्रस्त हुआ है। उन्होंने यह भी बताया कि आग की इन घटनाओं में पेड़ों तथा जानवरों को कोई क्षति नहीं पहुंची है तथा वर्तमान में कहीं से भी आग की घटना की कोई भी सूचना नहीं है।

विनय शंकर पाण्डेय द्वारा वन विभाग के अधिकारियों से आग लगने के कारणों के सम्बन्ध में पूछे जाने पर अधिकारियों ने बताया कि गर्मी अधिक होने से भी आग का खतरा रहता है, कुछ प्राकृतिक कारणों से भी आग लग जाती है तथा कुछ लोगों द्वारा जानबूझकर या लापरवाही से भी आग की घटनायें हो जाती हैं। इस पर जिलाधिकारी ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि जो लोग जानबूझकर आग लगाने की घटना में लिप्त होते हैं, ऐसे लोगों को चिह्नित करके वन कानूनों के अन्तर्गत जुर्माना सहित सख्त से सख्त कार्रवाई की जाये तथा ऐसे लोगों बख्शा न जाये।

जिलाधिकारी द्वारा वन विभाग के अधिकारियों से वनाग्नि को रोकने के लिये उठाये गये कदमों के सम्बन्ध में पूछे जाने पर अधिकारियों ने बताया कि हरिद्वार वन प्रभाग के प्रधान कार्यालय स्तर पर एक मास्टर कण्ट्रोल रूम के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों में 35 क्रू स्टेशन स्थापित किये गये हैं, जो नियमित रूप से सूचनाओं का आदान प्रदान कर रहे हैं। इसके अलावा वनाग्नि नियंत्रण हेतु 101 फायर वाचर रखे गये हैं। उन्होंने यह भी बताया कि वनाग्नि को रोकने में राजस्व विभाग, पुलिस विभाग, अग्निशमन विभाग तथा आपदा प्रबन्धन का भी पूरा सहयोग मिलते रहता है।

जिलाधिकारी ने अधिकारियों से आग बुझाने में काम आने वाली सामग्रियों के सम्बन्ध में भी विस्तृत जानकारी ली तथा अधिकारियों से कहा कि जो भी बजट वनाग्नि के नियंत्रण के लिये आवंटित होता है, उसका तर्कयुक्त उपयोग होना चाहिये। बैठक में जिलाधिकारी ने वनाग्नि आदि आपदाओं पर तुरन्त नियंत्रण पाने में संवाद के महत्व का उल्लेख करते हुये कहा कि अगर कोई भी आपदा सामने आती है, तो कम्युनिकेशन की सबसे बड़ी भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि अगर कम्युनिकेशन मजबूत है, तो किसी भी आपदा पर जल्द से जल्द काबू पाया जा सकता है।

उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि वनाग्नि को नियंत्रित करने के लिये व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाये तथा प्रचार-प्रसार में अन्य टेलीफोन नम्बरों के साथ-साथ आपदा प्रबन्धन के टेलीफोन नम्बर की भी जानकारी आम लोगों तक विभिन्न माध्यमों-फ्लैस, सोशल मीडिया/इलेक्ट्रानिक मीडिया, समाचार पत्रों आदि द्वारा प्रचारित/प्रसारित किया जाये।

इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी(वित्त एवं राजस्व) बीर सिंह बुदियाल,एसडीएम भगवानपुर बृजेश कुमार तिवारी, एएसडीएम रूड़की विजयनाथ शुक्ल, आपदा प्रबन्धन अधिकारी मीरा कन्तुरा, मुख्य अग्निशमन अधिकारी नरेन्द्र सिंह कुंवर, एसडीओ वन खुशाल सिंह रावत, आरओ दिनेश नौटियाल सहित सम्बन्धित विभागों के अधिकारीगण उपस्थित थे।

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