अब कैलाश पर्वत के दर्शन भारत से ही हो सकेंगे. इसके लिए तिब्बत जाने की आवश्यकता नहीं होगी. उत्तराखंड में ही कैलाश पर्वत का दर्शन मार्ग खोज लिया गया है. इस नए दर्शन मार्ग को स्थानीय लोगों ने खोजा है. जिसके बाद अधिकारियों और विशेषज्ञों की टीम ने रोड मैप, लोगों के ठहरने की व्यवस्था और दर्शन प्वॉइंट तक जाने का रूट एवं अन्य व्यवस्थाओं के लिए सर्वे किया है. यह रिपोर्ट पर्यटन मंत्रालय को सौंपी जाएगी. जिसके बाद इस नए दर्शन प्वॉइंट पर काम शुरू होगा. यह नया दर्शन प्वॉइंट लिपुलेख पहाड़ियों पर खोजा गया है जो पिथौरागढ़ जिले में 18 हजार फीट की ऊंचाई पर है. यहां से कैलाश पर्वत साफ दिखाई देता है. बताया जा रहा है कि यहां से कैलाश पर्वत की हवाई दूरी 50 किलोमीटर है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, लिपुलेख की जिस पहाड़ी से कैलाश पर्वत दिखता है वो नाभीढांग के ठीक 2 किलोमीटर ऊपर है. जहां से 4-5 दिन की यात्रा करके कैलाश पर्वत के दर्शन किए जा सकते हैं. पर्यटन विभाग के मुताबिक ओल्ड लिपुलेख पहुंचने के लिए 2 किलोमीटर की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है. यह चढ़ाई आसान नहीं है पर यहां तक पहुंचने के लिए रास्ता बनाया जा सकता है. साथ ही स्नो स्कूटर के जरिए भी श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए पहाड़ी की चोटी तक पहुंचाया जा सकता है.

2019 से बंद है कैलाश मानसरोवर यात्रा, अब फिर होगी शुरू

स्थानीय लोगों का दावा है कि पिथौरागढ़ के लिंपियाधूरा चोटी से भी कैलाश पर्वत के दर्शन हो सकते हैं. यह चोटी ज्योलिंगकांग से 25 किलोमीटर ऊपर है. लिंपियाधूरा चोटी के पास ओम पर्वत, आदि कैलाश और पार्वती सरोवर हैं. यहां से कैलाश पर्वत के दर्शन होने से इस क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. आखिरी बार कैलाश मानसरोवर यात्रा 2019 में हुई थी. उसके बाद कोरोना के दौरान इसे रोक दिया गया. कैलाश पर्वत की यात्रा के तीन अलग-अलग राजमार्ग हैं. पहला उत्तराखंड का लिपुलेख दर्रा है, दूसरा सिक्किम का नाथू दर्रा और तीसरा नेपाल का काठमांडू है.

इन तीनों रास्तों से कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए कम से कम 14 और अधिकतम 21 दिन का वक्त लगता है. कैलाश पर्वत को भगवान शिव और मां गौरी का घर माना जाता है. हिंदू धर्म में कैलाश पर्वत की बेहद मान्यता है. कैलाश मानसरोवर भारत का हिस्सा है पर 1962 के युद्ध में चीन ने इस पर कब्जा कर लिया. ऐसे में अब यहां की यात्रा के लिए चीनी टूरिज्म वीजा प्राप्त करना होता है. कैलाश मानसरोवर यात्रा अब फिर शुरू होगी. चीन ने वीजा देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इस बार नियमों को पहले से भी कड़ा कर दिया गया है.

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