हरिद्वार।

गुरु ही परमात्मा का दूसरा स्वरूप हैं। जो व्यक्ति का मार्गदर्शन कर उसके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं और गुरुजनों की प्रेरणा से ही व्यक्ति मे उत्तम चरित्र का निर्माण होता है। जिससे वह स्वयं को सबल बना कर सदैव उन्नति की ओर अग्रसर रहता है।

उक्त उद्गार महामंडलेश्वर स्वामी दामोदर शरण दास महाराज ने कनखल स्थित महर्षि ब्रह्महरि उदासीन आश्रम में ब्रह्मलीन स्वामी ब्रह्महरि महाराज के 24वें निर्वाण दिवस पर आयोजित दो दिवसीय संत समागम को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। श्रद्धालु भक्तों को गुरु की महिमा का सार बताते हुए उन्होंने कहा कि गुरु शिष्य परंपरा संपूर्ण विश्व में भारत को महान बनाती है। जो व्यक्ति अपने गुरु के बताए मार्ग का अनुसरण कर सदा सत्य को अपनाता है। उसके जीवन की सभी अभिलाषाएं पूर्ण होती है और वह निरंतर उन्नति को प्राप्त करता है।

गुरू ही शिष्य के उज्जवल भविष्य का निर्माण करते हैं-श्रीमहंत महेश्वरदास

कार्यक्रम को अध्यक्ष पद से संबोधित करते हुए श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के श्रीमहंत महेश्वर दास महाराज ने कहा कि गुरु ही अपने शिष्य को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाकर उसे ज्ञान का बोध कराते हैं और सांसारिक मोह माया से दूर रहने का प्रण लेकर उसके उज्जवल भविष्य का निर्माण करते हैं। संत महापुरुष के रूप में जिस व्यक्ति को गुरु की प्राप्ति हो जाती है। उसका जीवन सदैव के लिए धन्य हो जाता है।

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महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज व महामण्डलेश्वर स्वामी कपिलमुनि महाराज ने कहा कि संत सदैव अपने भक्तों को ज्ञान की प्रेरणा देकर उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। महर्षि ब्रह्महरि उदासीन आश्रम मानव सेवा में प्रचलित सेवा को भलीभांति संचालित कर समाज सेवा में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

स्वामी दामोदर शरण दास महाराज भारत सहित दुनिया भर में भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म का प्रचार प्रसार कर धर्म की पताका को फहरा रहे हैं। राष्ट्र की एकता अखंडता बनाए रखने में उनका अतुल्य योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता।

महंत निर्मल दास महाराज ने कहा कि धर्म के संरक्षण संवर्धन में महापुरुषों का योगदान विश्व विख्यात है और संतो ने सदैव ही समाज को नई दिशा प्रदान की है। स्वामी भगवतस्वरूप, बाबा हठयोगी, महंत विष्णुदास, स्वामी संतोषानंद, महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि स्वामी दामोदर शरण दास महाराज एक विद्वान संत हैं। जो युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाकर धर्म की रक्षा के लिए प्रेरित कर रहे हैं। ऐसे महापुरुषों को संत समाज नमन करता है।

इस अवसर पर महंत प्रेमदास, महंत कमल दास, महंत जयेंद्र मुनि, महंत दामोदर दास, महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश, स्वामी वेदानंद, स्वामी रवि देव शास्त्री, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी दिनेश दास, महंत श्रवण मुनि, महंत शिवानंद, महंत सूरज दास आदि सहित बड़ी संख्या में संत उपस्थित रहे

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